बांग्लादेश हिंसा: बांग्लादेश हिंसा में हिंदू परिवारों के घर जलाए, मासूम की हुई मौतबांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार एक बार फिर चर्चा में हैं।
बांग्लादेशी लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन द्वारा साझा किए गए एक वीडियो ने हालात की गंभीरता को उजागर किया है।
इस वीडियो में चटगांव क्षेत्र में कई हिंदू परिवारों के जले हुए घर दिखाई दे रहे हैं। बताया गया है कि मंगलवार को यह घटना हुई, जिसमें हिंदू समुदाय की संपत्ति को निशाना बनाया गया और भारी नुकसान हुआ।
पीड़ितों की पहचान जयंती संघ और बाबू शुकुशील के रूप में हुई है। घटना के समय पूरा परिवार घर के अंदर मौजूद था।
अचानक आग लगाए जाने से चारों ओर लपटें फैल गईं और परिवार के पास बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा।
बांग्लादेश हिंसा: बाड़ काटकर जान बचाने को मजबूर परिवार
चश्मदीदों के अनुसार, उपद्रवियों ने घर के सभी दरवाजे बाहर से बंद कर दिए थे। आग तेजी से फैल रही थी और दम घुटने की स्थिति बन गई थी।
ऐसे में परिवार को जान बचाने के लिए घर की बाड़ काटकर भागना पड़ा। इस अफरातफरी में परिवार के पालतू जानवरों की जलकर मौत हो गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर कुछ मिनट की भी देरी होती, तो पूरा परिवार जिंदा जल सकता था।
प्रशासन की कार्रवाई
घटना के बाद पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं और उनकी पहचान की कोशिश की जा रही है।
हालांकि अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। उपजिला कार्यकारी अधिकारी (यूएनओ) एस.एम. रहातुल इस्लाम और सहायक आयुक्त (भूमि) ओंगचिंग मारमा ने प्रभावित इलाके का दौरा किया और पीड़ित परिवारों को मदद का भरोसा दिया।
प्रशासन की ओर से पीड़ितों को 25 किलो चावल, 5,000 टका नकद और कंबल दिए गए हैं।
हालांकि, स्थानीय हिंदू समुदाय का कहना है कि यह सहायता नुकसान की भरपाई के लिए नाकाफी है और सबसे बड़ा सवाल उनकी सुरक्षा का है।
लक्ष्मीपुर में मासूम बच्ची की जिंदा जलकर मौत
हिंदुओं पर हमलों की यह कोई अकेली घटना नहीं है। 19 दिसंबर की देर रात लक्ष्मीपुर सदर इलाके में एक दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई।
कुछ उपद्रवियों ने एक हिंदू परिवार के घर को बाहर से बंद कर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। इस आग में 7 साल की मासूम बच्ची जिंदा जल गई, जबकि परिवार के तीन अन्य सदस्य गंभीर रूप से झुलस गए।
पुलिस के अनुसार, यह घटना रात करीब एक बजे हुई। आग इतनी भयानक थी कि बच्ची को बचाने का मौका तक नहीं मिला। इस घटना ने पूरे इलाके में डर और आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया।
ईशनिंदा के आरोप में युवक की हत्या
18 दिसंबर को ढाका के पास भालुका क्षेत्र में हिंदू युवक दीपू चंद्र की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। हमलावरों ने उन पर ईशनिंदा का आरोप लगाया था।
दीपू एक कपड़ा कारखाने में काम करते थे। दावा किया गया कि उन्होंने फेसबुक पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणी की थी, लेकिन जांच में ऐसे किसी पोस्ट का कोई सबूत नहीं मिला।
जांच में सामने आया कि यह हत्या फैक्ट्री में काम से जुड़े एक विवाद का नतीजा थी, जिसे बाद में धार्मिक रंग दे दिया गया।
बढ़ती असुरक्षा
लगातार हो रही इन घटनाओं से बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के बीच भय का माहौल है। मानवाधिकार संगठनों और बुद्धिजीवियों का कहना है कि सिर्फ राहत सामग्री देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि दोषियों को सख्त सजा और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है।
सवाल यह है कि क्या बांग्लादेश सरकार इन हमलों पर प्रभावी कार्रवाई कर पाएगी या हिंदुओं पर अत्याचार का यह सिलसिला यूं ही जारी रहेगा।

