महिलाओं-बच्चियों पर अपराधों का बढ़ता खतरा
बांग्लादेश इस समय दोहरी त्रासदी से गुजर रहा है। एक ओर हिन्दू महिलाओं और बच्चियों पर अपराधों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है, वहीं दूसरी ओर गरीबी भयावह स्तर पर पहुँच चुकी है।
2025 के शुरुआती सात महीनों में बच्चियों के साथ रेप के मामलों में लगभग 75 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। इनमें ज्यादातर अल्पसंख्यक हिन्दू या ईसाई हैं।

मानवाधिकार संगठन आईन ओ सालिश केंद्र (ASK) की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से जुलाई 2025 तक 306 बच्चियों के साथ रेप हुआ, जबकि 2024 की इसी अवधि में 175 मामले सामने आए थे।
यह वृद्धि 75 प्रतिशत से अधिक है। वहीं 2024 के पूरे साल दर्ज 234 मामलों की संख्या को भी यह आँकड़ा पहले ही पीछे छोड़ चुका है।
बलात्कार के मामलों के भयावह आँकड़े
आँकड़ों के मुताबिक, 49 पीड़िताएँ 0-6 वर्ष की थीं, 94 बच्चियाँ 7-12 वर्ष की और 103 किशोरियाँ थीं। इसके अलावा 30 नाबालिग लड़कों के साथ भी बलात्कार हुआ।
जिनमें अधिकांश 12 वर्ष से कम आयु के थे। केवल 20 मामलों में ही एफआईआर दर्ज हो पाई, जबकि बलात्कार के प्रयास के 129 मामले भी दर्ज किए गए।

कानूनी कार्रवाई की स्थिति चिंताजनक है। कुल 306 में से मात्र 251 मामलों में ही केस दर्ज हो पाया, यानी 55 बच्चियों को अब तक न्याय नहीं मिल सका।
विशेषज्ञों का मानना है कि कानून-व्यवस्था की कमजोरी और अपराधियों में जवाबदेही की कमी इस बढ़ते अपराध के लिए जिम्मेदार है।
गरीबी ने तोड़ी कमर
जहाँ अपराधों का ग्राफ बढ़ रहा है, वहीं गरीबी भी देश को डुबो रही है। पावर एंड पार्टिसिपेशन रिसर्च सेंटर (PPRC) के अनुसार, 2022 में 18.7 प्रतिशत रही गरीबी दर अब बढ़कर 27.93 प्रतिशत हो गई है।
इसी तरह अत्यधिक गरीबी में जीने वाले लोगों का अनुपात 5.6 प्रतिशत से बढ़कर 9.35 प्रतिशत हो गया है।

विश्व बैंक का अनुमान है कि 2025 के अंत तक करीब 30 लाख लोग और गरीबी रेखा से नीचे जा सकते हैं।
शेख हसीना के शासनकाल में जहाँ जीडीपी वृद्धि मजबूत दिखाई देती थी, वहीं मौजूदा मोहम्मद यूनुस सरकार के नेतृत्व में हालात तेजी से बिगड़े हैं।
बेरोजगारी और गिरती अर्थव्यवस्था
रिपोर्ट बताती है कि मोहम्मद यूनुस के शासनकाल के शुरुआती नौ महीनों में 21 लाख से अधिक नौकरियाँ खत्म हो गईं। इनमें सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ा है।

यही नहीं, कपड़ा उद्योग जैसी महत्वपूर्ण फैक्ट्रियाँ भी बंद हो चुकी हैं, जिससे आर्थिक संकट और गहराया है।
अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले
बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हमले और अत्याचार की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं।

मंदिरों पर हमले, मूर्तियों की तोड़फोड़ और लूटपाट आम बात हो गई है। भारत के साथ बिगड़ते संबंधों ने हिंदुओं की स्थिति और भी नाजुक कर दी है।
यूनुस सरकार की पोल खुली
मोहम्मद यूनुस सत्ता में लोकतंत्र और पारदर्शिता का वादा कर आए थे, लेकिन सात महीनों के भीतर ही अपराध, गरीबी और बेरोजगारी चरम पर पहुँच गई है।
जनता, विशेषकर बच्चे और अल्पसंख्यक समुदाय, सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इन आँकड़ों ने यूनुस सरकार की नीतियों की सच्चाई उजागर कर दी है।