Bangladesh: बांग्लादेश की राजनीति इस समय बेहद दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुकी है, जहां एक ओर चुनावी तैयारियों की हलचल तेज़ हो रही है, वहीं दूसरी ओर कई अनिश्चितताएं भी देश की सियासत को घेरे हुए हैं। भले ही चुनाव की आधिकारिक तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने इशारा कर दिया है कि देश में आम चुनाव दिसंबर 2025 या जनवरी 2026 में कराए जा सकते हैं। यह संकेत मिलते ही पारंपरिक दलों के साथ-साथ नए राजनीतिक खिलाड़ी भी सक्रिय हो गए हैं।
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Bangladesh: BNP और जमात 300 सीटों पर लड़ेगी चुनाव
बीएनपी और अवामी लीग जैसी दिग्गज पार्टियों ने जहां अपने पुराने जनाधार को फिर से संगठित करने की कवायद शुरू कर दी है, वहीं छात्र आंदोलनों से जन्मी नई पार्टी ‘नेशनल सिटिजन पार्टी’ यानी एनसीपी ने भी अपनी मौजूदगी का अहसास कराना शुरू कर दिया है। एनसीपी अभी चुनाव आयोग में पंजीकृत नहीं है, लेकिन छाटे संगठनों और धार्मिक दलों के सहयोग से वह जमीनी स्तर पर तेज़ी से विस्तार कर रही है।
बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी ने सभी 300 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया है। सोमवार को बीएनपी नेता खालिदा जिया के लंदन से लौटने की खबर पार्टी के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार कर रही है।
अवामी लीग भी चुनावी मैदान में
बीएनपी की छात्र शाखा विश्वविद्यालय परिसरों में लगातार सक्रिय है और सभाओं का आयोजन कर रही है। पार्टी प्रवक्ता फरजाना शारमिन पुतुल ने कहा है कि बीएनपी मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार है, हालांकि पार्टी पर कई इलाकों में धन उगाही और दबदबे बनाए रखने के आरोप लगे हैं। इसके अलावा पार्टी के संभावित नेता तारिक रहमान की वापसी को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, जिससे कार्यकर्ताओं के भीतर निराशा है।
वहीं पार्टी महासचिव मिर्जा फखरुल और रुहुल कबीर रिजवी ने मौजूदा अंतरिम सरकार के अधीन निष्पक्ष चुनाव पर गहरी शंका जताई है। दूसरी ओर अवामी लीग भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है, लेकिन पार्टी उस समय से नेतृत्व संकट से जूझ रही है जब से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना स्वेच्छा से भारत में रह रही हैं।
चुनाव आयोग द्वारा प्रतिबंध का सामना
पार्टी को इस बात का डर है कि कहीं चुनाव आयोग द्वारा प्रतिबंध का सामना न करना पड़े। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दावा किया है कि सभी 300 सीटों के लिए वैकल्पिक उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली गई है। इसके बावजूद पार्टी के कई नेताओं की हत्या और गिरफ्तारियों को लेकर माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। अगर निष्पक्ष चुनाव होते हैं तो पार्टी खुद को जनता की अदालत में प्रस्तुत करने को तैयार है, लेकिन मौजूदा सरकार की नीयत को लेकर आशंकाएं लगातार बनी हुई हैं, जिससे सभी दलों की रणनीति पेचीदा और चुनौतीपूर्ण होती जा रही है।
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