Balochistan: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में दो अलग-अलग हमले हुए है। हमलों में अब तक 32 लोग मारे जा चुके है। इस हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ली है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि वहां पर ही सबसे ज्यादा आतंकी हमले क्यों होते है, तो चलिए आपको बताते है। दरअसल बलूचिस्तान की सीमा ईरान, अफगानिस्तान और अरब सागर से भी लगती है। हमले की सबसे बड़ी वजह कहीं न कहीं यह ही है।
कैसे हुआ Balochistan का निर्माण
Balochistan चार अलग-अलग प्रिंसली स्टेट को मिलाकर बना है। इसमे कलात, मकरान, लास, बेला और खारन जैसे छोटे प्रांत शामिल है। भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो यहां की ही तरह वहां पर भी कई रियासतें थी। उनमें से कई रियासतें पाक में शामिल न होकर अलग रहना चाहती थी, लेकिन भारत की ही तरह पाक में कई कई रियासतों का विलय हुआ।
Balochistan: कैसे शुरू हुआ विद्रोह
बलूचिस्तान की भी तीन रियासतें मकरान, लास बेला और खारन तो तुरंत ही पाकिस्तान के साथ विलय के लिए तैयार हो गईं, लेकिन कलात रियासत के मुखिया अहमद यार खान विलय के लिए तैयार नहीं हुए। वो पाक के कायदे-आजम मोहम्मद अली जिन्ना को अपना पिता कहते थे, ऐसे में ये भी चाहते थे कलात एक अलग देश बने औऱ वो पाक के साथ न जाएं। काफी समय चली बातचीत के दौरान 27 मार्च 1948 को अहमद यार खान ने पाकिस्तान के साथ विलय की शर्तों को मान लिया, लेकिन उनके भाई अहमद यार खान के भाई प्रिंस अब्दुल करीम और प्रिंस मोहम्मद रहीम ने बगावत कर दी। फिर दोनों भाईयों ने मिलकर करीब एक हजार लड़ाकों की सेना बनाई और उसका नाम रखा दोश्त-ए-झालावान। इसके बाद दोनों ने पाक सेना पर हमले शुरू कर दिए। पाक सेना ने जवाबी हमला किया इस पर दोनों भाई भागकर अफगानिस्तान चले गए पर वहां से भी मदद नहीं मिली फिर उन्हें पाकिस्तान वापस आना पड़ा और सेना ने उन्हें गिरफ्तार कर के जेल में भेज दिया।
आजादी को लेकर जंग जारी
इस विद्रोह के बाद से वहां के लोगों में आजादी के ख्याल पनपता रहा। इसको लेकर कभी नवाब नौरोज खान ने विद्रोहियों का नेतृत्व किया, तो कभी मो. बिजरानी ने गोरिल्ला वॉर तकनीक का इस्तेमाल करके वहां के लोगों को भड़काने का प्रयास किया। इसके बाद भी उन्हें कभी सफलता हासिल नहीं हुई। फिर 1970 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति याहिया खान ने बलूचिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान का चौथा प्रांत घोषित कर दिया। जिसके बाद से यहां के लोग और भी भड़क गए। इसके बाद जुल्फिकार अली भुट्टो ने 1973 में बलूचिस्तान की सरकार को भंग करके वहां मॉर्शल लॉ लगा दिया।
52 साल में नहीं रही शांति
बता दें कि 52 सालों में बलूचिस्तान में कभी भी शांति नहीं रही। क्योंकि इन 52 सालों में सभी अलग-अलग ग्रुप्स बलूचिस्तान की आजादी की मांग करते है और इसको लेकर लगातार जंग जारी है। साथ ही यहां के लोग पाक सेना और पाक के लोगों पर हमले करते रहते है। वहां के लोग इन्हें आतंकी मानते है।