Tuesday, July 22, 2025

‘असम में घुसपैठियों से 1.29 लाख बीघा जमीन कराई खाली’, CM हिमंता की हुंकार ‘हम डर जाएँगे, ये गलतफहमी है’

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने खुलासा किया है कि राज्य में लगभग 29 लाख बीघा जमीन पर बांग्लादेशी घुसपैठियों और बंगाली मुस्लिमों का अवैध कब्जा है।

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उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में भाजपा सरकार के गठन के बाद इस कब्जे को हटाने का अभियान शुरू किया गया, जिसे रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बनाया गया।

सीएम सरमा ने ये बातें दरंग जिले में गोरुखुटी बहुउद्देशीय कृषि परियोजना की चौथी वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में कहीं।

उन्होंने बताया कि इस परियोजना के तहत 77,420 बीघा जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है, जिनमें अधिकतर बंगाली मुस्लिमों का कब्जा था।

चार साल में 1.29 लाख बीघा जमीन मुक्त: कई जिलों में चला अभियान

मुख्यमंत्री सरमा के अनुसार, गोरुखुटी की सफलता के बाद बोरसोल्ला, लुमडिंग, बुरहापहाड़, पाभा, बतद्रा, चापर और पैकन इलाकों में भी यह अभियान चलाया गया।

चार वर्षों में कुल 1.29 लाख बीघा भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई है, जिसे अब जंगल और नागरिक उपयोग के लिए तैयार किया जा रहा है।

सरमा ने दो टूक कहा कि कोई ये न समझे कि कुछ अभियानों के बाद असम सरकार डरकर पीछे हट जाएगी। उन्होंने कहा कि असम आंदोलन के शहीदों का बदला लिया जाएगा और राज्य की जनसंख्या संरचना को बिगाड़ने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।

शंकर-अजान की जगह होनी चाहिए शंकर-माधव: असम की सांस्कृतिक अस्मिता का मुद्दा

हिमंता सरमा ने सांस्कृतिक पहचान के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि कभी हम शंकर-माधव की जगह शंकर-अजान कहने लगे थे। उन्होंने कहा कि अजान पीर की अपनी जगह है, लेकिन श्रीमंत शंकरदेव और श्री श्री माधवदेव का स्थान भी उतना ही आवश्यक है, तभी असम की जातीय और सांस्कृतिक पहचान बची रह सकती है।

शंकरदेव और माधवदेव असम के प्रसिद्ध वैष्णव संत रहे हैं, जबकि अजान पीर मुस्लिम संत थे जो 17वीं सदी में इराक से असम आए थे। सीएम का कहना था कि संतों की स्मृति का स्थान संतुलन के साथ होना चाहिए।

गोलपाड़ा में 1038 बीघा वन भूमि से हटाया अतिक्रमण

12 जुलाई 2025 को असम के गोलपाड़ा जिले में पैकन रिजर्व फॉरेस्ट में बड़ा बेदखली अभियान चलाया गया, जिसमें 140 हेक्टेयर (करीब 1038 बीघा) जमीन अतिक्रमण से मुक्त कराई गई। यहाँ पर अधिकतर बंगाली मूल के मुस्लिम परिवारों ने अवैध रूप से घर और दुकानें बना रखी थीं।

अभियान के दौरान 36 बुलडोजर लगाए गए और पूरे क्षेत्र को छह ब्लॉकों में बाँटकर 2,500 से अधिक ढाँचों को तोड़ा गया। इस दौरान 1,000 से अधिक पुलिसकर्मी और वन विभाग के सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे, जिससे अभियान शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हो सका।

ममता बनर्जी से सोशल मीडिया पर तकरार, घुसपैठ पर फिर दोहराया रुख

इस कार्रवाई को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिमंता सरकार पर ‘बंगालियों पर अत्याचार’ करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह बीजेपी का विभाजनकारी एजेंडा है, जिससे बंगाली समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।

इस पर हिमंता बिस्वा सरमा ने स्पष्ट किया कि असम सरकार बंगालियों के खिलाफ नहीं, बल्कि मुस्लिम घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस बयान का भी उल्लेख किया जिसमें घुसपैठ को बाहरी आक्रमण करार दिया गया था।

असम की पहचान और जनसंख्या संतुलन के लिए सरकार की रणनीति

मुख्यमंत्री सरमा ने दोहराया कि असम की डेमोग्राफी की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार अतिक्रमण के विरुद्ध कठोर रुख अपनाए हुए है और वह किसी भी प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप से नहीं डरेगी। उनका कहना था कि असम के नागरिकों की जमीन पर पहला अधिकार राज्यवासियों का है, किसी बाहरी का नहीं।

सरकार की मंशा है कि जो जमीन अवैध कब्जे से मुक्त कराई जा रही है, उसका उपयोग वन संरक्षण, खेती और राज्य हित में किया जाए। इस अभियान को वह असम आंदोलन के शहीदों के प्रति कर्तव्य और प्रदेश की सांस्कृतिक-जातीय अस्मिता की रक्षा के रूप में देख रहे हैं।

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