ARUNDHATI BHATTACHARYA: अरुंधति भट्टाचार्य का जन्म 18 मार्च 1956 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, बोकारो स्टील सिटी से प्राप्त की और फिर कोलकाता के लेडी ब्रेबोर्न कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके पश्चात उन्होंने जादवपुर विश्वविद्यालय से भी अध्ययन किया।
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ARUNDHATI BHATTACHARYA: भारतीय स्टेट बैंक में ऐतिहासिक नेतृत्व
1977 में एक परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से अपने करियर की शुरुआत करने वाली श्रीमती भट्टाचार्य धीरे-धीरे शीर्ष पदों तक पहुँचीं और अंततः बैंक की पहली महिला अध्यक्ष बनीं।
उनके नेतृत्व में SBI ने अभूतपूर्व परिवर्तन देखे। उन्होंने बैंक के पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का सफल विलय कर बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा एकीकरण संपन्न कराया।
डिजिटल परिवर्तन और वित्तीय समावेशन में अग्रणी योगदान
श्रीमती भट्टाचार्य के कार्यकाल में SBI ने डिजिटल बैंकिंग में उल्लेखनीय प्रगति की। उन्होंने ‘SBI Buddy’ मोबाइल वॉलेट, ‘SBI डिजिटल विलेज’ जैसी पहलें शुरू कीं और प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के सफल कार्यान्वयन में प्रमुख भूमिका निभाई। इसके साथ ही, बैंक ने जीएसटी लागू करने जैसी नीतिगत पहलों में भी अहम योगदान दिया।
सेल्सफोर्स इंडिया में नई भूमिका
SBI से सेवानिवृत्ति के बाद, श्रीमती भट्टाचार्य ने सेल्सफोर्स इंडिया में अध्यक्ष और सीईओ के रूप में प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रवेश किया। यहाँ उन्होंने भारत के डिजिटल परिवर्तन को गति देने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने और भारतीय कंपनियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का कार्य किया।
महिला सशक्तिकरण और सामाजिक योगदान
भट्टाचार्य महिलाओं के नेतृत्व और स्वास्थ्य के लिए भी प्रतिबद्ध रही हैं। उन्होंने SBI में महिला कर्मचारियों के लिए विश्राम अवकाश, बुज़ुर्ग देखभाल अवकाश और फ्री सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण जैसी नीतियाँ लागू कीं। उनकी आत्मकथा Indomitable उनके प्रेरणादायक जीवन और नेतृत्व दर्शन को दर्शाती है।
सम्मान और पद्म श्री 2025
श्रीमती अरुंधति भट्टाचार्य को फोर्ब्स की “दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं” और फॉर्च्यून की “50 महानतम नेताओं” में स्थान मिला है। वर्ष 2025 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो बैंकिंग, सार्वजनिक सेवा, तकनीकी नवाचार और महिला सशक्तिकरण में उनके असाधारण योगदान का राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता है।
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