Tuesday, December 23, 2025

अन्नामलाई: किसान परिवार से प्रशासनिक सेवा तक की यात्रा

अन्नामलाई का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई में निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। इसके बाद आईआईएम की परीक्षा पास कर लखनऊ पहुँचे, लेकिन वहाँ सामाजिक यथार्थ देखकर उन्हें लगा कि केवल कॉर्पोरेट सफलता से समाज की समस्याओं का समाधान संभव नहीं है।

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आईआईएम से मोहभंग और सिविल सेवा का निर्णय

लखनऊ में रहते हुए अन्नामलाई को यह बोध हुआ कि आर्थिक अपराध और हिंसा सामान्य होती जा रही है। उन्होंने आत्मचिंतन के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि ऊँची सैलरी और निजी सुख समाज की वास्तविक पीड़ा का उत्तर नहीं है, इसलिए उन्होंने सिविल सेवा की दिशा में आगे बढ़ने का निर्णय लिया।

आईपीएस के रूप में कर्नाटक कैडर में प्रवेश

अन्नामलाई ने आईएएस परीक्षा की तैयारी की और चयन के बाद आईपीएस बने। कर्नाटक कैडर मिलने के साथ ही उन्हें प्रारंभिक कार्यकाल में ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ मिलीं। उनकी प्रशासनिक शैली में संवेदनशीलता और कठोरता का संतुलन स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा।

उडुप्पी की घटना और मानवीय हस्तक्षेप

उडुप्पी जिले में एसपी रहते हुए एक सत्रह वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या की हृदयविदारक घटना सामने आई। पीड़िता की माँ ने उनसे बेटी को वापस दिलाने की गुहार लगाई। अन्नामलाई ने सच स्वीकारते हुए न्याय और स्मृति को जीवित रखने का वचन दिया।

सुरक्षा एप और छात्रवृत्ति की पहल

उसी घटना के बाद अन्नामलाई ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए सुरक्षा नामक मोबाइल एप लॉन्च किया, जिसका उद्घाटन उन्होंने स्वयं किया। यह एप व्यापक रूप से सफल रहा। साथ ही पीड़िता के नाम पर छात्रवृत्ति शुरू की गई, जो आज भी निरंतर रूप से संचालित हो रही है।

जनता का समर्थन और स्थानांतरण विरोध

जब अन्नामलाई का स्थानांतरण हुआ तो स्थानीय जनता ने प्रदर्शन कर इसे रोकने की माँग की। इसके बाद चिकमंगलूर में तैनाती के दौरान भी उनके कार्यकाल को सराहा गया। वहाँ से स्थानांतरण की घोषणा होते ही फिर जनआंदोलन देखने को मिला।

धार्मिक कट्टरता को समझने का प्रयास

अपने कार्यकाल में अन्नामलाई ने संगठित अपराध और कट्टरता को समझने के लिए कुरान का अध्ययन किया। उनका मानना था कि किसी भी चुनौती से निपटने के लिए उसके वैचारिक स्रोतों को समझना आवश्यक है। इसी समझ के आधार पर उन्होंने कई संवेदनशील स्थितियों को नियंत्रित किया।

आतंकवाद निरोध और दंगा नियंत्रण

कुरान के अध्ययन और प्रशासनिक विवेक के माध्यम से अन्नामलाई ने लगभग बीस हजार मुस्लिम युवकों को आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों में जाने से रोका। उनके नेतृत्व में कई संभावित दंगे टाले गए, जिससे क्षेत्र में शांति और कानून व्यवस्था बनी रही।

पुलिस सेवा से राजनीति की ओर कदम

लंबे अनुभव के बाद अन्नामलाई इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि पुलिस सेवा में रहकर जो कार्य सीमित स्तर पर हो सकता है, वही राजनीति में आकर व्यापक रूप से किया जा सकता है। इसी सोच के साथ उन्होंने सेवा के अंतिम चरण में बड़ा निर्णय लिया।

इस्तीफा और तमिलनाडु भाजपा की कमान

बैंगलोर दक्षिण में एसपी पद पर रहते हुए अन्नामलाई ने इस्तीफा दिया। इसके तुरंत बाद उन्हें तमिलनाडु भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। यह निर्णय संगठन के भीतर योग्यता और संघर्ष को प्राथमिकता देने का उदाहरण माना गया।

युवा नेतृत्व और संगठन विस्तार

मात्र अड़तीस वर्ष की आयु में अन्नामलाई तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में पार्टी को एक वैकल्पिक और मजबूत राजनीतिक शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। दक्षिण भारत की राजनीति में यह परिवर्तन स्पष्ट रूप से महसूस किया जा रहा है।

अथक परिश्रम और निरंतर संघर्ष

इतनी उपलब्धियों के बाद भी अन्नामलाई स्वयं को संतुष्ट नहीं मानते। वे प्रतिदिन केवल लगभग छह घंटे ही विश्राम कर पाते हैं और शेष समय संगठन व जनसंपर्क में लगाते हैं। उनका जीवन निरंतर परिश्रम और प्रतिबद्धता का उदाहरण बन चुका है।

विश्वास की राजनीति और ईवीएम विवाद

अन्नामलाई की यात्रा इस तर्क को चुनौती देती है कि राजनीति केवल वंशवाद या तंत्र की देन है। जब देश की सर्वोच्च सेवा छोड़कर कोई व्यक्ति जनता के बीच पसीने से तर दिखाई देता है, तो यह परिश्रम और आपसी विश्वास की शक्ति को दर्शाता है।

दक्षिण भारत में नए राजनीतिक नायक का उदय

तमिलनाडु ही नहीं, पूरे दक्षिण भारत में भाजपा को अन्नामलाई के रूप में एक नया नायक मिला है। उनका संघर्ष, प्रशासनिक अनुभव और राजनीतिक संकल्प इस क्षेत्र में पार्टी के भविष्य की दिशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।

Mudit
Mudit
लेखक 'भारतीय ज्ञान परंपरा' के अध्येता हैं और 9 वर्षों से भारतीय इतिहास, धर्म, संस्कृति, शिक्षा एवं राजनीति पर गंभीर लेखन कर रहे हैं।
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