Saturday, May 31, 2025

Ankita Bhandari Case: अंकिता भंडारी हत्याकांड के तीनों दोषियों को उम्रकैद,19 साल की युवती के संघर्ष, हत्या और न्याय की पूरी कहानी

Ankita Bhandari Case: 30 मई 2025 को कोटद्वार की जिला अदालत ने 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की हत्या के मामले में पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने तीनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

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फैसला आने से पहले अंकिता के पिता वीरेंद्र सिंह ने कोर्ट से दोषियों को फांसी देने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि “जिन दरिंदों ने मेरी मासूम बेटी को मारा, उन्हें मौत की सजा मिलनी चाहिए।”

Ankita Bhandari Case: कौन थी अंकिता भंडारी?

अंकिता उत्तराखंड के डोभ-श्रीकोट गांव की रहने वाली थी। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया और अगस्त 2022 में ऋषिकेश के पास यमकेश्वर क्षेत्र के वनतंत्रा रिसॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट काम शुरू किया।

यह उसकी पहली नौकरी थी और उसे पहली सैलरी भी नहीं मिली थी। लेकिन महज एक महीने में, 18 सितंबर 2022 को वह अचानक गायब हो गई।

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Ankita Bhandari Case: अंकिता भंडारी हत्याकांड के तीनों दोषियों को उम्रकैद,19 साल की युवती के संघर्ष, हत्या और न्याय की पूरी कहानी 2

आखिरी रात: जब सब कुछ बदल गया

Ankita Bhandari Case: 18 सितंबर की रात अंकिता ने अपने करीबी दोस्त पुष्प को कॉल कर बताया कि उस पर रिसॉर्ट मेहमानों को “विशेष सेवाएं” देने का दबाव बनाया जा रहा है।

रात करीब 8:30 बजे के बाद उसका फोन बंद हो गया। अगले दिन न तो वह अपने कमरे में थी और न ही उसका फोन मिल रहा था।

पुलिस को दी गई कहानी में मालिक पुलकित आर्य ने दावा किया कि वह और उसके दोस्त अंकिता को घुमाने ले गए थे, लेकिन लौटने के बाद वह अपने कमरे से गायब हो गई।

पुलिस की देरी और जांच में लापरवाही

Ankita Bhandari Case: अंकिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट पहले पटवारी पुलिस को सौंपी गई, क्योंकि रिसॉर्ट का इलाका रेगुलर पुलिस के अधिकार क्षेत्र में नहीं था।

इस देरी और कमजोर कार्रवाई के चलते जांच में शुरुआत में कई महत्वपूर्ण सुराग नज़रअंदाज हुए।

तीन दिन बाद बढ़ते जनदबाव के बाद केस को रेगुलर पुलिस को ट्रांसफर किया गया और तभी असली जांच शुरू हो पाई।

Ankita Bhandari Case:पोस्टमार्टम, खुलासे और गुस्सा

24 सितंबर को अंकिता का शव ऋषिकेश के पास चीला नहर से बरामद हुआ। पोस्टमार्टम में उसकी मौत डूबने से हुई बताई गई लेकिन शरीर पर चोटों के निशान भी थे।

यौन उत्पीड़न के संकेतों की जांच की गई लेकिन रिपोर्ट निगेटिव रही। बावजूद इसके, जनता का आक्रोश फूट पड़ा।

ग्रामीणों ने रिसॉर्ट में तोड़फोड़ की, आगजनी की और पुलिस पर आरोप लगाए कि वे पुलकित आर्य के राजनीतिक रसूख के चलते मामले को दबा रहे हैं।

राजनीतिक भूचाल और बुलडोजर कार्रवाई

Ankita Bhandari Case: पुलकित आर्य भाजपा नेता और पूर्व मंत्री विनोद आर्य का बेटा है। जैसे ही यह खुलासा हुआ, भाजपा ने पिता और भाई दोनों को पार्टी और सरकारी पदों से हटा दिया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केस की जांच के लिए SIT गठित की और वनतंत्रा रिसॉर्ट को रातों-रात अवैध बताकर बुलडोजर चला दिया गया।

मां का दर्द: “हमें धोखा दिया गया”

अंकिता की मां का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें अंतिम संस्कार से दूर रखा गया।

उनका कहना था कि अस्पताल में जबरन उन्हें तरल चढ़ाया गया और यह कहा गया कि उन्हें बेटी को दिखाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

उन्होंने कहा, “मैं बिल्कुल भी बीमार नहीं थी। उन्होंने हमें धोखा दिया। मैं मां हूं, मेरी बेटी को आखिरी बार देखना मेरा हक था।”

पुष्प की गवाही और ऑडियो क्लिप

अंकिता के दोस्त पुष्प की गवाही इस केस में अहम रही। पुलकित आर्य और पुष्प के बीच की दो ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आईं, जिसमें आर्य को झूठ बोलते और बातें छुपाते सुना गया।

जांचकर्ताओं को यकीन हुआ कि पुलकित को लगा था कि अगर अंकिता का शव नहीं मिलेगा तो शक पुष्प पर जाएगा, जो उससे लगातार संपर्क में था।

जांच, चार्जशीट और कोर्ट की कार्यवाही

90 दिनों में पुलिस ने 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। 100 से अधिक लोगों से पूछताछ हुई, जिनमें से 47 को गवाह बनाया गया।

आखिरी बहस 19 मई 2025 को हुई और 30 मई को कोर्ट ने फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष ने सबूतों के आधार पर साबित किया कि हत्या का कारण अंकिता का विरोध था — वह रिसॉर्ट मालिक की अनैतिक मांगों को नहीं मान रही थी।

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