Friday, November 7, 2025

अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् का रजत जयन्ती महोत्सव: काशी में ज्ञान, सेवा और संस्कार का राष्ट्रीय संगम, 40 मूर्धन्य विद्वानों का होगा सम्मान

अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् का रजत जयन्ती महोत्सव : वाराणसी में जुटेंगे देशभर के विद्वान

8–9 नवम्बर को होगा दो दिवसीय राष्ट्रीय आयोजन

वाराणसी, भारतीय संस्कृति और शास्त्रीय परंपरा के संरक्षण के लिए कार्यरत संस्था अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् अपनी गौरवशाली २५ वर्ष की यात्रा पूरी कर रही है। इस उपलक्ष्य में परिषद् द्वारा रजत जयन्ती महोत्सव का भव्य आयोजन 8–9 नवम्बर 2025 को वाराणसी स्थित श्री रामनाथ चौधरी शोध संस्थान, नरिया में किया जाएगा।

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इस आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों से आचार्य, प्रोफेसर, कुलपति, शोधकर्ता और युवा विद्वान शामिल होंगे।

‘सामूहिक चिंतन’ के माध्यम से परंपरा और नवाचार का सेतु

अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् उद्देश्य भारतीय दर्शन, संस्कृति, शिक्षा और समाज के बीच सेतु निर्माण करना है। परिषद् का आदर्श वाक्य “सत्यम् वद, धर्मं चर, पावका नः सरस्वती” इस आयोजन की भावना को सार्थक रूप देता है।

काशी की विभूति, महोत्सव के मुख्य आयोजक और अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. कामेश्वर उपाध्याय ने बताया कि दो दिनों तक चलने वाला यह ज्ञानोत्सव विद्वदलङ्करण समारोह, विद्वत्सम्मेलन, ग्रन्थ-विमोचन और युवा प्रतिभा सम्मान जैसे विविध कार्यक्रमों का मंच बनेगा।

पहला दिन : उद्घाटन और विद्वदलङ्करण समारोह

पहले दिन 8 नवम्बर (शनिवार) को प्रातः 10:30 बजे उद्घाटन सत्र आरंभ होगा। इसमें अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् की 25 वर्षों की उपलब्धियों का प्रस्तुतीकरण किया जाएगा तथा उपस्थित विद्वानों का औपचारिक स्वागत होगा।

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इस अवसर पर देशभर से आए शिक्षाविद परिषद् की भूमिका पर अपने विचार रखेंगे। अपराह्न सत्र में विद्वदलङ्करण समारोह आयोजित होगा, जिसमें परिषद् से दीर्घकाल तक जुड़े आचार्य और विद्वानों को ‘शारदा सम्मान’ प्रदान किया जाएगा।

दूसरा दिन : विद्वत्सम्मेलन और ग्रन्थ विमोचन

दूसरे दिन 9 नवम्बर (रविवार) को विद्वत्सम्मेलन और ग्रन्थ विमोचन समारोह होंगे। प्रातः होने वाले विद्वत्सम्मेलन में देश के प्रमुख चिंतक और शिक्षाविद भारतीय ज्ञान परंपरा, अध्यापन पद्धति और सांख्यकारिक ग्रन्थों पर विचार प्रस्तुत करेंगे।

अपराह्न में परिषद् द्वारा प्रकाशित नई पुस्तकों और शोध ग्रन्थों का लोकार्पण किया जाएगा। माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान विद्वानों को सम्मानित करेंगे।

गौरतलब है कि अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् राज्यपाल बनने से पूर्व ही श्री आरिफ मोहम्मद खान को ‘राजन्य शिरोमणि’ की उपाधि से विभूषित कर चुकी है।

मुख्य और विशिष्ट अतिथि

इस आयोजन के मुख्य अतिथि होंगे, माननीय राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (राज्यपाल, बिहार) और डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय (पूर्व केंद्रीय मंत्री)।

आध्यात्मिक सत्रों में जगद्गुरु शंकराचार्य हेमानन्द गिरि जी (नेपाल) तथा जगद्गुरु आचार्य महामंडलेश्वर श्रीमहन्त स्वामी श्री पद्मनामशरणदेवाचार्य जी महाराज (जयपुर) का सान्निध्य प्राप्त होगा।

पूरे आयोजन की अध्यक्षता प्रो. जयशंकर लाल त्रिपाठी (राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय विद्वत्त् परिषद्) करेंगे।

परिषद् की 25 वर्षों की उपलब्धियाँ होंगी प्रस्तुत

रजत जयन्ती महोत्सव में परिषद् की 25 वर्ष की यात्रा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें शैक्षणिक सेमिनार, शोध-प्रकाशन, संस्कृत वाङ्मय प्रचार, और भारतीय शिक्षा नीति में योगदान जैसी प्रमुख उपलब्धियाँ शामिल हैं। साथ ही, संस्थान द्वारा प्रकाशित नए ग्रन्थों का विमोचन भी किया जाएगा।

ज्ञान, सेवा और संस्कृति का संगम

महोत्सव में भारतीय ज्ञान प्रणाली व विविध क्षेत्रों के 40 मूर्धन्य विद्वानों को सम्मानित किया जाएगा।

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इस आयोजन से भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति जागृति, विद्वानों के बीच संवाद और शिक्षा के आध्यात्मिक आयामों को सशक्त करने की नई दिशा मिलने की आशा है।

अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् का रहा है गौरवशाली इतिहास

अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् का यह रजत जयन्ती महोत्सव ज्ञान, साधना और संस्कृति की निरंतर यात्रा का प्रतीक है।

वाराणसी की पवित्र धरती पर होने वाला यह आयोजन भारतीय चिंतन परंपरा को आधुनिक युग के परिप्रेक्ष्य में पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक प्रयास साबित होगा।

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