Ahmedabad Plane Crash:13 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान हादसे ने देश ही नहीं, पूरी दुनिया को झकझोर दिया। लंदन जा रही यह अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट उड़ान भरते ही कुछ ही सेकंड में दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
हादसा इतना भयावह था कि विमान में सवार अधिकांश यात्रियों के शवों की पहचान कर पाना भी असंभव हो गया। जलते हुए मलबे से उठता धुआं और चीख-पुकार की आवाजें इस त्रासदी की भयावहता को बयान कर रही थीं।
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Ahmedabad Plane Crash: अमेरिका और ब्रिटेन की जांच एजेंसियां भारत के साथ
हादसे की गंभीरता को देखते हुए अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और ब्रिटेन की एयर एक्सिडेंट्स इनवेस्टिगेशन ब्रांच भारत की जांच एजेंसी AAIB की मदद कर रही हैं।
विमान का ब्लैक बॉक्स 28 घंटे की अथक खोज के बाद बीजे मेडिकल कॉलेज के स्टाफ क्वार्टर की एक छत से बरामद किया गया। ब्लैक बॉक्स, जिसे फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर के रूप में भी जाना जाता है,
विमान की उड़ान संबंधी हर गतिविधि को रिकॉर्ड करता है और दुर्घटना की जड़ तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ब्लैक बॉक्स की पहचान को लेकर भ्रम और सफाई
सोशल मीडिया पर ब्लैक बॉक्स को लेकर कई फर्जी वीडियो और दावे वायरल हो गए थे, जिन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि वायरल हो रही तस्वीरें वास्तविक फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की नहीं हैं।
वास्तविक DFDR को जांच एजेंसी के हवाले कर दिया गया है और विशेषज्ञ इसकी तकनीकी जांच में लगे हैं।
बोइंग 787 विमानों की व्यापक सुरक्षा जांच
इस हादसे के बाद डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने एयर इंडिया के बेड़े में शामिल सभी बोइंग 787-8 और 787-9 विमानों की सुरक्षा जांच के आदेश दे दिए हैं।
अब प्रत्येक उड़ान से पहले विस्तृत तकनीकी परीक्षण किया जाएगा। इसमें विशेष रूप से फ्यूल पैरामीटर मॉनिटरिंग, केबिन एयर कंप्रेसर, इलेक्ट्रॉनिक इंजन कंट्रोल सिस्टम, इंजन फ्यूल ड्रिवन एक्ट्यूएटर, ऑयल और हाइड्रोलिक सिस्टम,
टेक-ऑफ पैरामीटर्स की जांच शामिल है। DGCA ने यह कदम यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया है।
डीएनए परीक्षण से होगी मृतकों की पहचान
जैसे-जैसे हादसे की भयावह तस्वीरें सामने आईं, यह साफ हो गया कि कई शव पूरी तरह झुलस चुके हैं और उनकी पहचान कर पाना पारंपरिक तरीकों से संभव नहीं है। ऐसे में प्रशासन ने सभी शवों के डीएनए सैंपल एकत्रित कर लिए हैं और उन्हें कोल्ड स्टोरेज में संरक्षित कर दिया गया है।
अगले 72 घंटों में डीएनए रिपोर्ट मिलने की संभावना है, जिसके बाद शवों की पहचान कर उन्हें परिजनों को सौंपा जाएगा। गुजरात सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और संवेदनशील तरीके से हो।
टाटा ग्रुप अपनी जिम्मेदारी निभाने को तैयार
टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने हादसे पर गहरा दुख जताया है और भरोसा दिलाया है कि टाटा समूह हर जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “यह टाटा समूह के इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक है।
हम इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़े हैं। हम पारदर्शिता के साथ हादसे की हर जानकारी सार्वजनिक करेंगे और पीड़ितों के लिए हरसंभव मदद पहुंचाएंगे।”
उनकी भावनात्मक प्रतिक्रिया ने सोशल मीडिया पर भी लोगों का ध्यान खींचा। उन्होंने यह भी दोहराया कि यह वक्त पीछे हटने का नहीं, बल्कि डटकर खड़े रहने और सही काम करने का है।
पीएम मोदी ने किया घटनास्थल का दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह अहमदाबाद पहुंचे। वे सबसे पहले हादसे के स्थल पर गए और राहत कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने करीब 20 मिनट तक घटनास्थल पर रुककर एनडीआरएफ और प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत की और राहत व बचाव प्रयासों की जानकारी ली।
इसके बाद प्रधानमंत्री अहमदाबाद के सिविल अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने घायलों का हालचाल लिया और चिकित्सकों से भी बातचीत की।
प्रधानमंत्री ने अस्पताल में भर्ती एकमात्र जीवित बचे यात्री विश्वास कुमार रमेश से भी मुलाकात की। विश्वास, जो चमत्कारिक रूप से दुर्घटना से बच गए, अभी भी गहरे सदमे में हैं।
पीएम के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू और राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी भी मौजूद रहे।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
हादसे के बाद देशभर के नेताओं, सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों ने गहरा शोक जताया है। विपक्षी नेताओं ने भी सरकार से पारदर्शी और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
सोशल मीडिया पर हजारों लोग #AirIndiaCrash के साथ अपनी संवेदनाएं साझा कर रहे हैं। यह हादसा भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र के लिए न केवल एक तकनीकी चुनौती है, बल्कि मानवीय पीड़ा का भी बड़ा उदाहरण बन गया है।
आगे की राह और सवाल
एयर इंडिया के इस भयानक हादसे ने कई अहम सवाल खड़े कर दिए हैं – क्या तकनीकी चूक हुई? क्या मेंटेनेंस में कोई कमी थी? क्या पायलट को उड़ान से पहले कोई संकेत मिला था? और सबसे अहम क्या यह हादसा टाला जा सकता था?
जवाब तलाशना आसान नहीं होगा, लेकिन ब्लैक बॉक्स की जानकारी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से जांच एजेंसियां किसी निष्कर्ष पर जरूर पहुंचेंगी। तब तक, देश शोक में डूबा है और मृतकों के परिवार अपने अपनों को खोने की पीड़ा से जूझ रहे हैं।
यह हादसा एक बार फिर याद दिलाता है कि आधुनिक तकनीक के बावजूद मानवीय त्रासदियां संभव हैं, और सुरक्षा को लेकर कोई भी समझौता या लापरवाही कितनी भी बड़ी कीमत चुकवा सकती है।
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