आगरा में दो सगी बहनों की घर वापसी के बाद उनके माता-पिता ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उनका कहना है कि दोनों बहनें पूरी तरह ब्रेनवॉश की जा चुकी थीं और पूजा-पाठ से चिढ़ती थीं। वे हिंदू धर्म से दूरी बनाकर पूरे परिवार को इस्लाम अपनाने का दबाव बना रही थीं।
रविवार को माता-पिता आगरा कैंप कार्यालय पहुँचे और पुलिस आयुक्त से मिले। पिता ने बताया कि बेटियाँ अपने धर्म से बात करना भी पसंद नहीं करती थीं और धर्मांतरण के समर्थन में बोलती थीं। वे किसी कट्टर विचारधारा के प्रभाव में आ चुकी थीं और परिवार से कट चुकी थीं।
ऑपरेशन अस्मिता: 6 राज्यों में चला था व्यापक अभियान
उत्तर प्रदेश पुलिस ने ‘ऑपरेशन अस्मिता’ के तहत एक बड़े धर्मांतरण गिरोह का पर्दाफाश किया था। अभियान में छह राज्यों से कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया। ये सभी आरोपित लव जिहाद के ज़रिए धर्मांतरण कराते थे और ISIS जैसे आतंकी संगठन की तर्ज़ पर काम करते थे।
गिरफ्तार किए गए लोगों की गतिविधियाँ कनाडा, अमेरिका और यूएई से मिल रही विदेशी फंडिंग से संचालित हो रही थीं। रिपोर्टों के अनुसार, वे युवतियों को फँसाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते थे और धीरे-धीरे कट्टर इस्लामी विचारधारा में ढाल देते थे।
कैसे बरामद हुईं दोनों बहनें: सोशल मीडिया ID ने खोला राज
मार्च 2025 में सदर बाजार थाने में दोनों बहनों के लापता होने की शिकायत दर्ज की गई थी। चूंकि वे फोन नहीं ले गई थीं और सोशल मीडिया से भी गायब थीं, इसलिए पुलिस को शुरू में कोई सुराग नहीं मिल सका। बाद में साइबर सेल ने ‘कनेक्टिंग रिवर्ट’ नाम की इंस्टाग्राम ID को ट्रेस किया।
एक महिला दारोगा ने फर्जी नाम से उस ID से संपर्क किया और खुद को धर्मांतरण के इच्छुक के रूप में पेश किया। जवाब मिलने पर लोकेशन कोलकाता मिली, जिसके बाद एसीपी के नेतृत्व में चार टीमें वहाँ भेजी गईं। बाकी राज्यों में भी ताबड़तोड़ छापेमारी की गई।
चार दिन तक 50 पुलिसकर्मियों ने छह राज्यों में निगरानी रखी और अंततः बहनों को सही-सलामत बरामद कर लिया गया। इस कार्रवाई में गिरोह के कई सदस्य भी पुलिस के हत्थे चढ़े और पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ।
माता-पिता ने जताया मुख्यमंत्री योगी का आभार, चार साल से थी गिरोह की गिरफ्त में
दोनों बहनों के माता-पिता ने बताया कि उनकी बेटियाँ बीते चार वर्षों से इस गिरोह के प्रभाव में थीं। उन्होंने कहा कि बेटियाँ धीरे-धीरे परिवार से दूर होती गईं और कट्टरपंथी सोच में डूब गईं। वे CM योगी आदित्यनाथ और आगरा पुलिस के प्रयासों से ही अब घर लौट सकी हैं।
परिवार ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि अगर सरकार ने सक्रियता नहीं दिखाई होती तो शायद बेटियाँ कभी वापस न आ पातीं। उन्होंने ‘ऑपरेशन अस्मिता’ को बेटियों की वापसी का सबसे बड़ा माध्यम बताया।
मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान गिरफ्तार, हिंदुओं के ब्रेनवॉश की किताबें बरामद
इस मामले में एक बड़ी सफलता और मिली जब दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके से इस धर्मांतरण रैकेट का मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान गिरफ्तार हुआ। ATS और IB की संयुक्त कार्रवाई में रहमान को पकड़ा गया।
अधिकारियों के अनुसार, अब्दुल रहमान ही इस पूरे नेटवर्क का संचालन कर रहा था। उसके घर की तलाशी में बड़ी संख्या में ऐसी किताबें बरामद की गईं जिनका उद्देश्य हिंदुओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित करना था।
आगरा रैकेट में कोडवर्ड, टारगेटिंग और महिला एजेंटों की भूमिका
इस गिरोह के अन्य मामलों की भी जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, गिरोह के कई गुर्गे पहले हिंदू थे, जिन्होंने खुद धर्म बदला और अब मुस्लिम बनकर दूसरे हिंदुओं को फँसाने लगे। टारगेट सिर्फ जवान लड़कियाँ होती थीं, जिन्हें ‘रिवर्ट’ कोडवर्ड से संबोधित किया जाता था।
कई मामलों में देखा गया कि महिलाएँ दोस्त बनकर लड़कियों को फँसाती थीं। यही तकनीक आगरा की बहनों के मामले में भी इस्तेमाल हुई थी। उन्हें सोशल मीडिया के ज़रिए जोड़कर मानसिक रूप से प्रभावित किया गया।
अन्य राज्यों से भी मिले कनेक्शन, बंगाल से J&K तक फैला नेटवर्क
अधिकारियों को संदेह है कि यह नेटवर्क केवल आगरा या यूपी तक सीमित नहीं है। शुरुआती जाँच में बंगाल, जम्मू-कश्मीर और गोवा जैसे राज्यों से भी कनेक्शन मिले हैं। साइबर क्राइम की मदद से पूरे नेटवर्क की जाँच जारी है।
अब पुलिस और खुफिया एजेंसियाँ देशभर में फैले इस धर्मांतरण गिरोह के सभी सिरों को जोड़ने की कोशिश कर रही हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए इस पर राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई की मांग भी उठ रही है।