अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा संघर्ष: पिछले कुछ दिनों से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर चल रहा खूनी संघर्ष आखिरकार थम गया है।
कतर और सऊदी अरब की मध्यस्थता से दोनों देशों ने फायरिंग रोकने पर सहमति जताई है। यह संघर्ष पिछले कई वर्षों में दोनों देशों के बीच हुई सबसे भीषण झड़पों में से एक माना जा रहा है।
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कैसे शुरू हुआ संघर्ष?
अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा संघर्ष: अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर तनाव की शुरुआत पाकिस्तान की ओर से की गई काबुल एयर स्ट्राइक से हुई।
पाकिस्तान का दावा था कि यह हमला तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर किया गया, जो अफगान सीमा के अंदर सक्रिय हैं और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमले कर रहे हैं।
लेकिन इस हमले ने अफगानिस्तान को बुरी तरह भड़का दिया। अफगान सेना ने जवाबी कार्रवाई में दुरंड रेखा पार करते हुए पाकिस्तानी पोस्टों पर गोलाबारी की। रिपोर्ट्स के मुताबिक झड़पें कुनर, हेलमंद, बाजौर, कुर्रम और बलूचिस्तान के इलाकों में सबसे ज्यादा हुईं।
अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा संघर्ष: दोनों देशों के दावे अलग-अलग
अफगान सरकार का कहना है कि उनकी जवाबी कार्रवाई में 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और करीब दो दर्जन पाक चौकियाँ अफगान सेना के नियंत्रण में चली गईं। वहीं पाकिस्तान ने इन दावों को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया बताया और सिर्फ 15 सैनिकों की मौत की पुष्टि की।
दोनों देशों के आंकड़ों में भारी अंतर होने के बावजूद, इतना तो तय है कि झड़पें बेहद गंभीर, हिंसक और विनाशकारी रहीं।
कई गांवों से नागरिकों को सुरक्षित इलाकों में भेजा गया और सीमा क्षेत्र में रहने वाले सैकड़ों परिवारों को विस्थापन झेलना पड़ा।
मुत्तकी का भारत दौरा और पाकिस्तान की नाराजगी
इस संघर्ष का समय भी बेहद दिलचस्प रहा। ठीक उसी दौरान अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी भारत के दौरे पर थे। माना जा रहा है कि पाकिस्तान इस दौरे से नाखुश था।
भारत में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुत्तकी ने इस पर तीखा बयान देते हुए कहा —
“हमारा दिल बहुत बड़ा है। अगर पाकिस्तान को मेरे भारत आने से कोई दिक्कत है, तो यह उनकी समस्या है, हमारी नहीं।”
अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा संघर्ष: उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और विश्लेषकों ने इसे पाकिस्तान के प्रति एक राजनयिक संदेश के तौर पर देखा।
मुत्तकी के इस बयान ने सीमा संघर्ष को लेकर नए राजनीतिक सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या यह पाकिस्तान की किसी रणनीतिक प्रतिक्रिया का हिस्सा था।
क्या दुरंड रेखा फिर बन रही है विवाद का कारण?
अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा संघर्ष: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है। ब्रिटिश काल में खींची गई दुरंड रेखा (Durand Line) को अफगानिस्तान कभी औपचारिक रूप से मान्यता नहीं देता। तालिबान शासन आने के बाद भी काबुल ने इसे एक “कृत्रिम रेखा” बताया है।
पाकिस्तान ने पिछले कुछ वर्षों में सीमा पर फेंसिंग का काम किया है, जिसका अफगान पक्ष लगातार विरोध करता आया है। ताज़ा संघर्ष को भी इसी पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है।
अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा संघर्ष: कतर और सऊदी अरब बने मध्यस्थ
अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा संघर्ष: कई दिनों तक चली भीषण फायरिंग और हवाई हमलों के बाद आखिरकार कतर और सऊदी अरब ने दखल देकर दोनों देशों को सीजफायर पर राज़ी किया।
सूत्रों के अनुसार, कतर के दोहा और रियाद में अफगान और पाकिस्तानी प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बैक-चैनल बातचीत चली, जिसके बाद स्थिति पर काबू पाया जा सका।
कतर पहले भी तालिबान और पश्चिमी देशों के बीच संवाद का केंद्र रहा है, और इस बार फिर उसने अपने कूटनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर एक और क्षेत्रीय संकट को ठंडा किया है।
क्या शांति टिक पाएगी?
अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा संघर्ष: फिलहाल सीमा पर फायरिंग रुक गई है, लेकिन इलाके में तनाव अब भी बना हुआ है।
दोनों देशों ने अपनी-अपनी सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी है और नागरिकों को सतर्क रहने की हिदायत दी गई है।
विश्लेषकों का कहना है कि जब तक दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक यह संघर्ष किसी भी समय दोबारा भड़क सकता है।