Ban on ‘Jamaat-e-Islami’ lifted in Bangladesh: बांग्लादेश की तख्तापलट के बाद शेख हसीना की सरकार के जाते ही मोहम्मद युनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने इस्लामी कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया है। जमात के छात्र संगठन से भी प्रतिबंध हटा लिया गया है। वहां की अंतरिम सरकार ने बुधवार (28 अगस्त, 2024) को जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश और इसके छात्र संगठन, छात्र शिबिर पर से प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया। युनुस सरकार ने कहा है कि इन दोनों संगठनों के विरुद्ध आतंक का कोई भी सबूत नहीं है। जमात का बांग्लादेश के हालिया तख्तापलट में बड़ा हाथ है। इस पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अगस्त, 2024 में ही पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया था।
छात्र संगठन छात्र शिबिर से भी हटाया प्रतिबंध
मोहम्मद युनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश और इसके छात्र संगठन, छात्र शिबिर पर से प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया। इस संबंध में एक आदेश भी निकाला गया। इस आदेश में कहा गया है कि बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र संगठन इस्लामी छात्र शिबिर की आतंकवाद और हिंसा में संलिप्तता का कोई ठोस सबूत नहीं है और सरकार का मानना है कि यह संगठन आतंकवादी गतिविधियों में शामिल नहीं हैं इसलिए इस पर प्रतिबंध हटाया जाता है। इसी के साथ युनुस सरकार ने 1 अगस्त, 2024 को हसीना सरकार द्वारा जारी किए गए प्रतिबंध के आदेश को निरस्त कर दिया है।
शेख हसीना ने इसलिए लगा था प्रतिबंध
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 1 अगस्त, 2024 को जमात-ए-इस्लामी और इसके छात्र संगठन को आतंकी गतिविधियाँ करने के कारण प्रतिबंधित कर दिया था। हसीना सरकार का कहना था कि जुलाई में शुरू हुए छात्रों के आरक्षण विरोधी आंदोलन की आड़ में जमात ने अपना एजेंडा चलाया है। जमात पर आरोप है कि इसने इस प्रदर्शन के दौर में लगातार हिंसा की और कई जगह पुलिसकर्मियों तक पर हमले किए। शेख हसीना सरकार ने जमात पर सरकार अस्थिर करने का आरोप लगाया था।
क्या करता है जमात-ए-इस्लामी?
जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश का एक इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है। इसकी जड़ें अविभाजित भारत में थीं। इसकी स्थापना 1941 में भारत में मौलाना मौदूदी ने की थी। भारत के विभाजन के बाद यह पाकिस्तान का जमात-ए -इस्लामी हो गया। यह संगठन बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान के साथ था और इसने पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर बंगालियों पर काफी अत्याचार किया था। जमात का लक्ष्य मुस्लिमों को कट्टरपंथी इस्लाम की तरफ लाना है। यह सूफीवाद के विरोध में खड़ा हुआ संगठन है। बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान सभी जगह यह संगठन इस्लामी कट्टरपंथ का समर्थक है। यह बांग्लादेश को भी कट्टर इस्लाम की तरफ ले जाना चाहता है।