Patanjali Misleading Ads Case: मंगलवार (13 अगस्त) को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ पतंजलि उत्पादों को लेकर की गई शिकायत पर रोक लगा दी। उन्होंने अपने विज्ञापनों और अपनी दवाओं के बारे में कही गई बातों को लेकर ईमानदारी बरतने का वादा किया था और अदालत ने उनके वादे को स्वीकार कर लिया। इसका मतलब यह है कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण अब शिकायत से मुक्त हो गए हैं।
दरअसल 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मॉडर्न मेडिसिन के खिलाफ रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद की अपमानजनक टिप्पणियों का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका के मुताबिक पतंजलि के विज्ञापनों ने ‘ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम’, 1954 और ‘ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स’, 1954 के तहत कानून का उल्लंघन किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में पतंजलि को चेतावनी दी थी कि वो भ्रामक विज्ञापनों को जारी करना बंद कर दे, मगर ऐसा नहीं हुआ था। इसके बाद देश की शीर्ष अदालत ने बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी कर दिया।
उसके बाद फरवरी 2024 में पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन जारी रहने के बाद कोर्ट ने कंपनी और उसके एमडी को अवमानना नोटिस जारी किया। फिर मार्च 2024 में अवमानना नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने पतंजलि के एमडी बालकृष्ण और बाबा रामदेव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया। अप्रैल 2024 में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण कोर्ट में पेश हुए थे और एलोपैथिक दवाओं पर टिप्पणी करने के के लिए बिना शर्त माफी मांगी थी। जिसके बाद 14 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने अवमानना नोटिस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
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