Friday, September 20, 2024

Avimukteshwarananda: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के बयान से संत खफा, पालघर की घटना याद दिलाकर मोर्चा खोला

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Shankaracharya Avimukteshwarananda Controversy: उद्धव ठाकरे को लेकर दिए गए बयान के बाद उत्तराखंड की ज्योतिपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद विवादों में घिर गए हैं। एक के बाद एक कई संतों ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष तथा श्रीदूधेश्वरनाथ मठ मंदिर के श्रीमहंत नारायण गिरि ने ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के घर जाकर राजनीतिक बयान देने को गलत बताया और कहा कि हिन्दू धर्म परंपरा में शंकराचार्य शीर्ष आसन है तथा उनका काम पूजा पाठ करना है और ऐसे पूज्यपाद का किसी के घर जाकर राजनीतिक बयान देना अनुचित है।
बता दें ठाकरे से मुंबई के बांद्रा स्थित उनके आवास ‘मातोश्री’ में मुलाकात के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा था कि उद्धव ठाकरे के साथ विश्वासघात हुआ है और कई लोग इससे आक्रोशित हैं। मैं उनके आग्रह पर उनसे मिला और कहा कि जनता को हुई पीड़ा उनके दोबारा मुख्यमंत्री बनने तक कम नहीं होगी।

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मिल गई होगी मोटी दक्षिणा: जगतगुरु परमहंस

जगतगुरु परमहंस जी महाराज ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पर निशाना साधते हुए कहा कि निश्चित रूप से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को मोटी दक्षिणा मिल गई होगी, इसलिए उन्होंने यह पक्षपातपूर्ण बयान दिया है। कभी-कभी अधिक सम्मान और ज्यादा दक्षिणा पाकर लोग मर्यादा भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि बाला साहेब ठाकरे ने कहा था कि मैं शिवसेना को कभी कांग्रेस नहीं होने दूंगा। अगर वो स्थिति आएगी तो मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा। जब उद्धव ठाकरे अपने पिता बाला साहेब ठाकरे के सिद्धांत की हत्या करके कांग्रेस से गठबंधन कर लिया था। बाला साहेब ठाकरे के सिद्धांत की रक्षा करने के लिए बचाने के लिए एकनाथ शिंदे अलग हुए और मुख्यमंत्री हैं।

पालघर लिचिंग पर जुबान नहीं खोली: महंत राजूदास

अयोध्या के महंत राजूदास जी महाराज ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को किसी पार्टी की सदस्यता ले लेनी चाहिए। उन्होंने पालघर में संतों के साथ हुई लिंचिंग का मुद्दा उठाते हुए कहा कि आपने एक शब्द भी उस घटना पर नहीं कहा। पालघर में संतों की निर्मम हत्या हुई। पीट-पीटकर आतंकवादियों ने पूज्य संतों को मार दिया। उस पर आपका एक शब्द नहीं आया। लेकिन आपको ये दुख है कुर्सी पर उद्धव ठाकरे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आप एक शंकराचार्य होने के बाद एक राजनीतिक दल के लिए इतनी चिंता है आपको लेकिन संतों की चिंता नहीं है। महंत राजूदास ने कहा कि हिंदू पश्चिम बंगाल में मारे जा रहे हैं। इस पर एक शब्द आपने बोला क्या? कांग्रेस के साथ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मिले हुए हैं। ममता बनर्जी के साथ अविमुक्तेश्वरानंद के संबंध अच्छे हैं।

सन्यास की मर्यादा ही पता नहीं: स्वामी जितेंद्रानंद

जनरल सेक्रेटरी ऑफ़ अखिल भारतीय संत परिषद् स्वामी जितेंद्रानंद ने पालघर में हुई लिंचिंग का मुद्दा उठाते हुए कहा कि पालघर में जिन संतों की पीट-पीटकर हत्या की गई। क्या कभी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की जुबान उनके लिए खुली। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के मुहूर्त का विरोध करना हो या फिर केदारनाथ में जाकर यह कहना कि वहां से सोना गायब हो गया जैसे फर्जी आरोप लगाने हों। अंबानी परिवार के बेटे के विवाह में जाना, जहां सन्यासियों का जाना वर्जित है। वहां जाकर यह बयानबाजी यह दर्शाती है कि यह प्रसिद्धी और प्रचार का इतना भूखा है कि इसे सनातन धर्म और सन्यास की मर्यादा ही नहीं पता।

संत का काम राजनीतिक बयान देना नहीं: नारायण गिरि

पंचदशनाम जूना अखाड़े के प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने एक वीडिया जारी कर कहा कि शंकराचार्य ने शिवसेना उद्धव गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे के घर जाकर राजनीतिक बयान दिया है और यह अनुचित है। उनका कहना था कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के बेटे के विवाह में शामिल होना भी ठीक नहीं है। पूज्य शंकराचार्य को किसी सामान्य इंसान के घर जाकर उन्हें आशीर्वाद देकर राजनीतिक बयान देना संत का काम नहीं होता है। उन्होंने कहा, ‘‘ठाकरे राजनीतिक महत्वकांक्षा के लिए अपने पिता बाला साहब ठाकरे की विचारधारा के विपरीत विधर्मियों के साथ खड़े हुए और पूज्य शंकराचार्य ऐसे विदर्भी के घर जाकर उन्हें आशीर्वाद दे रहे है, जो पूरी तरह से अनुचित है।

किसी के घर जाकर आशीर्वाद देना उचित नहीं: श्रीमहंत

श्रीदूधेश्वरनाथ के श्रीमहंत ने कहा कि साधु महात्मा का काम पूजा पाठ करना होता है, भगवान का नाम लेना होता है। किसी को चुनाव जिताना या हराना साधु का काम नहीं होता। हमारा काम सिर्फ भगवान की पूजा आराधना करना है। चुनाव में किसको हराना है और किसको जिताना है यह काम जनता का है। शंकराचार्य का स्थान बहुत ऊंचा है और सामान्य आदमी के घर जाकर उनको आशीर्वाद देना धर्म के ऐसे शीर्ष पद पर बैठे पूज्य संत के लिए उचित नहीं है।

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