West Bengal Sandeskhali Case: संदेशखाली के टीएमसी नेता शाहजहां शेख के बचाव पर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने खरी-खरी सुनाई है। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर संदेशखाली में महिलाओं के यौन शोषण के मामले की जांच सीबीआई कर रही है। इसके खिलाफ बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने ये फैसला सुनाया है।
फजीहत के बाद शाहजहां शेख को निलंबित करके टीएमसी ने किसी तरह डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की थी। शाहजहाँ शेख और उसके गुर्गों पर बसीरहाट के संदेशखाली में जनजातीय समाज की महिलाओं के यौन शोषण के साथ-साथ कइयों की जमीन कब्जाने के भी आरोप हैं।
SC ने पूछा, राज्य सरकार किसी को क्यों बचा रही?
29 अप्रैल को यह मामला सामने आने पर जस्टिस गवई ने पूछा था कि आखिर एक निजी व्यक्ति के हितों को बचाने के लिए राज्य सरकार को क्यों याचिका दायर करनी चाहिए? जस्टिस गवई ने याद दिलाया कि राज्य सरकार ने कई दिनों तक कुछ नहीं किया। साथ ही वही सवाल दागा कि राज्य सरकार किसी को क्यों बचा रही है? बता दें कि शाहजहां शेख को राशन घोटाले में गिरफ्तार करने गई ED टीम पर हमले के बाद वो फरार हो गया था, जिसके बाद उसके कारनामों का काला चिट्ठा खुला था।
कोर्ट ने अधिवक्ता सिंघवी की दलील पर यह कहा…
पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से अधिवक्ता कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि शाहजहां शेख के खिलाफ न सिर्फ यौन शोषण और जमीन हड़पने, बल्कि राशन घोटाले के तहत भी मामला दर्ज कर दिया गया है जिसमें 4 साल पहले ही 43 FIR दर्ज किए गए थे। उनका कहना था कि ये मामला सिर्फ ED अधिकारियों पर हमले से जुड़े 2 FIR का ही होना चाहिए था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी मामले संदेशखाली से ही जुड़े हुए हैं और अलग-अलग नहीं हैं।