Asaduddin Owaisi created controversy: लोकसभा में सांसद पद की शपथ के दौरान AIMIM पार्टी के प्रमुख और हैदराबाद लोकसभा सीट से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विवाद खड़ा कर दिया है। मंगलवार (25 जून, 2024) को लोकसभा में सांसद पद की शपथ के दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने फिलिस्तीन के समर्थन में ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगा कर सबको चौंका दिया। सांसद ओवैसी के ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाए जाने के संसद से लेकर बाहर तक हंगामा मच गया है। वकील हरि शंकर जैन ने इसे लेकर ओवैसी के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिकायत की है। जैन ने ओवैसी की सदस्यता संसद सदस्य के रूप में खत्म करने की मांग की है।
मीडिया से बोले- जो बोलना था बोल दिया
लोकसभा में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान AIMIM पार्टी के प्रमुख और हैदराबाद लोकसभा सीट से सांसद असदुद्दीन ओवैसी पहले पोडियम के ऊपर शपथ के लिए आए। उन्होंने अपनी शपथ पूरी की और इसके बाद जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना और आखिर में जय फिलिस्तीन तकबीर अल्ला हू अकबर का नारा लगाया। जब इस मामले पर विवाद बढ़ा तो ओवैसी से संवादाताओं द्वारा सवाल किया गया। AIMIM सांसद ओवैसी ने कहा कि “किसने क्या कहा, क्या नहीं कहा सब आपके सामने है। हमने कहा- ‘जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन’… यह कैसे (संविधान के) खिलाफ है?
बयान को रिकार्ड से हटाया गया
मिली जानकारी के मुताबिक, जब असद्दुदीन ओवैसी ने अपने शपथ में जय फिलिस्तीन बोला तो केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद शोभा करंदलाजे ने इस पर ऐतराज जताया। इसके बाद लोकसभा में पीठासीन अधिकारी राधामोहन सिंह ने असद्दुदीन ओवैसी के इस बयान को रिकार्ड से निकालने को बोला। हालांकि, ओवैसी के इस बयान का वीडियो अब जमकर वायरल हो रहा है।
वकील हरि शंकर जैन ने राष्ट्रपति से की शिकायत
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिकायत की गई है। वकील हरि शंकर जैन ने दूसरे राष्ट्र के प्रति आस्था दिखाने के कारण उनकी संसद की सदस्यता रद्द करने की माँग की है। ओवैसी ने लोकसभा में शपथ लेने के बाद जय फिलिस्तीन के नारे लगाए थे, इसे बाद में कार्रवाई के रिकॉर्ड से बाहर कर दिया गया था ।
वकील हरि शंकर जैन ने असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ इस मामले में राष्ट्रपति से संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के तहत शिकायत की है। उनके बेटे विष्णु शंकर जैन ने यह जानकारी एक्स (ट्विटर) के जरिए दी है। उन्होंने बताया है कि हरि शंकर जैन ने ओवैसी की सदस्यता संसद सदस्य के रूप में खत्म करने की मांग की है। ऐसी ही एक शिकायत एक और वकील विभोर आनंद ने भी लोकसभा सचिवालय से की है।
क्या कहता है अनुच्छेद 102 और 103
संविधान के अनुच्छेद 102 में वह स्थितियाँ बताई गई हैं, जिनके अंतर्गत किसी संसद सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है। अनुच्छेद 102 के भाग ‘घ’ में लिखा है कि ऐसे संसद सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है जो भारत का नागरिक नहीं है या उसने किसी दूसरे राष्ट्र की नागरिकता ले ली है। इसके अलावा उसे इस आधार पर भी अयोग्य घोषित किया जा सकता है यदि वह दूसरे राष्ट्र के प्रति श्रृद्धा रखता है। वहीं संविधान का अनुच्छेद 103, अनुच्छेद 102 के तहत किसी संसद सदस्य को अयोग्य ठहराए जाने को लेकर फैसला सम्बन्धी शक्तियाँ देश के राष्ट्रपति को देता है।