Assam Election Survey: अगले साल असम में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति में जबरदस्त हलचल है। जहां मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा सत्ता में तीसरी बार वापसी के लिए कमर कस चुके हैं, वहीं कांग्रेस ने एक बड़ा दांव चलकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
सांसद गौरव गोगोई को असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद चुनावी समीकरण तेजी से बदलते नज़र आ रहे हैं। हाल ही में वोट वाइब द्वारा कराए गए एक सर्वे ने यह दिखा दिया है कि यह मुकाबला किसी एकतरफा लड़ाई से कहीं अधिक एक नजदीकी टक्कर बनने जा रहा है।
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Assam Election Survey: मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ‘फिफ्टी-फिफ्टी’ जंग
सर्वे के आंकड़ों ने सबसे ज़्यादा ध्यान खींचा मुख्यमंत्री पद की पसंद पर। 46% लोग अब भी हिमंत बिस्वा सरमा को ही मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं, जबकि 45% लोग गौरव गोगोई को यह ज़िम्मेदारी सौंपने के पक्ष में हैं। यह बेहद करीबी अंतर बताता है कि जनता अब वैकल्पिक नेतृत्व पर भी गंभीरता से विचार कर रही है।
Assam Election Survey: इस टक्कर के पीछे असम का जटिल जातीय और धार्मिक समीकरण एक अहम भूमिका निभा रहा है। राज्य में मुस्लिम आबादी 34% से 40% के बीच मानी जाती है, जो कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक का बड़ा हिस्सा है। यही वजह है कि वोटों का ध्रुवीकरण दो स्पष्ट धड़ों में होता दिखाई दे रहा है।
नाराजगी तो है, लेकिन विकल्प को लेकर संकोच भी
Assam Election Survey: सर्वे में एक दिलचस्प विरोधाभास उभरकर सामने आया। 50% लोग राज्य की मौजूदा बीजेपी सरकार से असंतुष्ट हैं — जिनमें से 36% ने खुद को ‘बहुत ज्यादा नाराज’ बताया, जबकि 14% ‘थोड़े नाराज’ हैं।
लेकिन जब यही लोगों से पूछा गया कि असम के विकास के लिए कौन-सी पार्टी बेहतर विकल्प है, तो 50% लोगों ने अब भी बीजेपी को ही चुना। कांग्रेस को इस सवाल में केवल 40% समर्थन मिला।
इससे यह संकेत मिलता है कि भले ही सरकार को लेकर नाराजगी है, लेकिन कांग्रेस को लेकर भरोसा अब तक पूरी तरह नहीं बन पाया है। बीजेपी के साथ लोगों को एक स्थायित्व और परिचित नेतृत्व की भावना जुड़ी हुई दिखाई देती है।
Assam Election Survey: विधायक बदलना चाहते हैं, लेकिन पार्टी नहीं
चुनाव पूर्व सर्वे का सबसे रोचक पहलू स्थानीय प्रतिनिधित्व को लेकर जनता की राय रही। 75% उत्तरदाताओं ने कहा कि वे अपने मौजूदा विधायक को बदलना चाहेंगे। हालांकि इनमें से 40% ने साफ किया कि उनकी नाराजगी सिर्फ विधायक से है, पार्टी से नहीं।
यह ट्रेंड राजनीतिक दलों के लिए एक चेतावनी की तरह है कि स्थानीय प्रतिनिधियों की कार्यशैली और जनता से संवाद की अहमियत बहुत बढ़ गई है। पार्टी को वोट देने वाला मतदाता अब प्रतिनिधि की जवाबदेही पर भी नजर रखता है।
AIUDF के बिना कांग्रेस को झटका?
Assam Election Survey: 2021 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) का गठबंधन बीजेपी के खिलाफ एक मज़बूत मोर्चा था। उस चुनाव में दोनों के वोट शेयर में महज़ 1.5% का अंतर था। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में यह गठबंधन टूट गया और बीजेपी को करीब 10% की बढ़त हासिल हो गई।
अगर आगामी विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और AIUDF अलग-अलग राह चलते हैं, तो बीजेपी को इसका सीधा लाभ मिल सकता है। फिर भी, यह सर्वे संकेत देता है कि कांग्रेस AIUDF के बिना भी एक हद तक प्रतिस्पर्धी स्थिति में है — खासकर जब उसका नेतृत्व गौरव गोगोई जैसे युवा और गंभीर नेता के हाथ में है।
असम की राजनीति में यह शायद पहली बार है जब मुख्यमंत्री पद के लिए इतना करीबी जनमत देखने को मिल रहा है। हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ न केवल नाराजगी पनप रही है, बल्कि उसके साथ एक मज़बूत विपक्ष भी आकार ले रहा है।
कांग्रेस द्वारा गौरव गोगोई को आगे लाना, और जनता की बदलती प्राथमिकताएं, इस बार के चुनाव को एकदम नई दिशा में ले जा सकती हैं। अगले कुछ महीनों में गठबंधन, प्रत्याशी चयन और स्थानीय रणनीति तय करेगी कि यह मुकाबला कौन जीतता है – सत्ता का अनुभव या बदलाव की चाह।