India: चीन के किंगदाओ शहर में गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की अहम बैठक हुई, लेकिन यह बिना किसी साझा बयान के खत्म हो गई।
इसका सबसे बड़ा कारण रहा भारत की कड़ी आपत्ति। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बैठक के बाद साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से साफ इनकार कर दिया।
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India: 26 लोगों की गई जान
राजनाथ सिंह की यह नाराजगी एक गंभीर मुद्दे को लेकर थी। दरअसल, इस दस्तावेज में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी।
इसके विपरीत, बयान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हुई एक घटना का जिक्र किया गया था, जिससे भारत को यह साफ महसूस हुआ कि इस मुद्दे पर भेदभाव किया जा रहा है।
आतंकवादी घटनाओं को किया नजर अंदाज
भारत का कहना है कि यह एकतरफा और पक्षपातपूर्ण रवैया है, जिसमें चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत नजर आती है। चीन इस समय एससीओ का अध्यक्ष है और ऐसे में भारत को उम्मीद थी कि आतंकवाद से जुड़ी हर गंभीर घटना पर निष्पक्षता बरती जाएगी।
लेकिन भारत ने महसूस किया कि उसके खिलाफ हुए बड़े हमले को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया है।
पाक आतंकियों को देता है पनाह
राजनाथ सिंह ने बैठक के दौरान बेहद साफ शब्दों में कहा कि भारत आतंकवाद को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेगा और जो देश आतंकियों को पनाह देते हैं, उनके खिलाफ सख्त रवैया अपनाया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि आतंकवाद को लेकर दोहरी नीति नहीं चल सकती यानी एक तरफ तो आप आतंकवाद की निंदा करें और दूसरी ओर उन्हीं आतंकी संगठनों को सहयोग भी दें, यह स्वीकार नहीं किया जाएगा।
पारदर्शिता और निष्पक्षता के सिद्धांत
सूत्रों के मुताबिक भारत को इस बात पर भी नाराजगी थी कि साझा बयान को किस तरह से तैयार किया गया, इसकी कोई जानकारी किसी सदस्य देश को पहले से नहीं दी गई। भारत का कहना है कि यदि एससीओ जैसे बड़े संगठन को अपनी साख बचाए रखनी है, तो उसे पारदर्शिता और निष्पक्षता के सिद्धांतों पर टिके रहना होगा।
शंघाई सहयोग संगठन का मुख्य मकसद सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाना और आतंकवाद जैसी वैश्विक चुनौतियों से मिलकर निपटना है। लेकिन इस बार की बैठक में यह उद्देश्य कहीं से भी साफ नजर नहीं आया।
जब एक सदस्य देश को हुए बड़े आतंकी हमले का भी जिक्र साझा बयान में नहीं होता, तो बाकी देशों का भरोसा टूटता है।