Dipika Kakar: टेलीविजन की मशहूर अदाकारा दीपिका कक्कड़ इन दिनों अपनी निजी जिंदगी के सबसे कठिन दौर से गुजर रही हैं। हाल ही में उन्होंने मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में स्टेज-2 लिवर कैंसर की सर्जरी करवाई है।
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Dipika Kakar: ट्यूमर से हुई फ्री
अब वह ‘ट्यूमर फ्री’ हो चुकी हैं और अस्पताल से घर भी लौट आई हैं, लेकिन उनका इलाज अभी भी जारी रहेगा। अपने ताज़ा यूट्यूब व्लॉग में दीपिका ने इस पूरी कठिन यात्रा के दौरान के अनुभव साझा किए हैं जहां एक मां, एक पत्नी और एक फाइटर के रूप में उनका संघर्ष और भावनात्मक जज़्बा साफ नज़र आता है।
ब्रेस्टफीडिंग छुड़ाना
दीपिका ने अपने वीडियो में बताया कि जब डॉक्टरों ने उन्हें कैंसर और ज़रूरी सर्जरी के बारे में जानकारी दी, तो उनके लिए सबसे कठिन फैसला अपने बेटे रुहान को अचानक ब्रेस्टफीडिंग से छुड़ाना था।
दीपिका ने कहा, “सबसे पहली जो चीज मुझे करनी थी और जो पूरे महीने में सबसे मुश्किल रही, वो थी सिर्फ एक रात में रूहान को दूध छुड़ाना। कोई विकल्प नहीं था। मुझे मजबूरन यह करना पड़ा। और उस रात मैं बहुत रोई।”
उन्होंने याद किया कि यह एक अचानक बदलाव था और इससे वे इमोशनली बहुत टूट गई थीं। उनका बेटा रुहान अब दो साल का होने वाला है, और उन्हें मालूम था कि उसे कभी न कभी स्तनपान छुड़ाना ही पड़ेगा,
लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यह इतना जल्दी और इस परिस्थिति में होगा। “हर चीज़ किसी अच्छे मकसद से होती है,” यह कहते हुए उन्होंने इस पीड़ा को एक सबक की तरह स्वीकार किया।
ट्यूमर कैंसर का सेकंड स्टेज
दीपिका ने आगे बताया कि जब उन्हें पता चला कि यह ट्यूमर कैंसर का सेकंड स्टेज है, तो उन्हें इस बात की तसल्ली मिली कि वह अब तक अपने बेटे को फीडिंग कराती रहीं। लेकिन अब जब शरीर में दवाइयों का असर पड़ेगा, और ट्रीटमेंट चलेगा, तो ऐसी हालत में ब्रेस्टफीडिंग बंद करना ही सही होगा।
उन्होंने कहा, “अब जब मैं हॉस्पिटल में रही, रुहान से दूर रही, रातों को वो मेरे बिना रहा… यह सब बहुत, बहुत मुश्किल रहा।”
मैं बहुत रोई हूं
अपने इस भावुक सफर में दीपिका ने अपने डॉक्टरों, अस्पताल के मेडिकल स्टाफ और सबसे बढ़कर अपने फैंस का भी दिल से शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा, “मैं बहुत रोई हूं, खुशी के आंसू थे।
यह जानकर कि इतने लोग मुझसे इतना प्यार करते हैं, एक बहुत ही खास एहसास था। मैं सच में ब्लेस्ड महसूस करती हूं। और मुझे थोड़ा गर्व भी होता है कि मैंने इतना प्यार कमाया है।”
दीपिका की यह कहानी न केवल एक कैंसर सर्वाइवर की हिम्मत को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि मातृत्व की भावना कितनी गहरी और मजबूत होती है। एक मां के रूप में अपने बच्चे से अचानक जुदा होना।
साथ ही कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का सामना करना इन दोनों जंगों को एक साथ लड़ते हुए दीपिका ने एक मिसाल कायम की है।
उनका यह साहस, उनका यह जज़्बा और उनके शब्द लाखों महिलाओं को प्रेरणा दे सकते हैं। दीपिका भले ही अब ‘ट्यूमर फ्री’ हैं, लेकिन उनका इलाज अभी जारी है।
उनकी कहानी यह भी याद दिलाती है कि जीवन में चुनौतियां चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हों, उन्हें जज़्बे और अपनों के प्यार से पार किया जा सकता है।
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