Secularism or Hypocrisy: “जब गला काटने वालों के लिए सहानुभूति और गौमाता की पूजा करने वालों के लिए चुप्पी हो, तब समझो कि सेकुलरिज्म नहीं, दोगलापन शासन कर रहा है।”
21वीं सदी का भारत एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के नाम पर हिन्दू धर्म को तोड़ा जा रहा है, उसकी मान्यताओं पर प्रहार किया जा रहा है और सनातन प्रतीकों का खुला उपहास किया जा रहा है। इसका ताज़ा उदाहरण हैं अरफा खानम शेरवानी और अली सोहराब, जिन्होंने गौमाता — जिसे हिन्दू धर्म में माँ का दर्जा प्राप्त है — पर भद्दा, अशोभनीय और भड़काऊ मज़ाक उड़ाया।
परन्तु, यह विवाद मात्र इन दो चेहरों तक सीमित नहीं। यह प्रसंग जोड़ता है उस रक्तरंजित त्रासदी से जिसमें उदयपुर के कन्हैयालाल की गर्दन इसीलिए काट दी गई क्योंकि उन्होंने नूपुर शर्मा का समर्थन किया था। यह मामला भी जोड़ता है शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी से, जिन्हें मात्र एक वीडियो के लिए जेल भेज दिया गया।
आज सवाल केवल एक पोस्ट का नहीं — यह हिन्दू समाज की सहिष्णुता की परीक्षा है। यह लेख इस पूरे प्रकरण को विस्तार से उजागर करता है और मांग करता है कि अरफा और अली को गिरफ़्तार कर, कानून के सामने समानता को पुनः स्थापित किया जाए।
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Secularism or Hypocrisy: नूपुर शर्मा विवाद और कन्हैयालाल की हत्या: क्या माफी भी अपराध बन गई?
2022 में टीवी डिबेट के दौरान नूपुर शर्मा ने एक विवादास्पद बयान दिया, जिसे लेकर देशव्यापी विवाद खड़ा हो गया। इस्लामिक देशों ने भारत को चेतावनी दी, देश में हिंसक प्रदर्शन हुए। इसके बाद उदयपुर में कन्हैयालाल — एक दर्जी — को केवल इस कारण सरेआम गला काटकर मार डाला गया क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया पर नूपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट साझा की थी।
ध्यान रहे:
🔹 नूपुर शर्मा ने तुरंत माफ़ी मांगी।
🔹 पार्टी ने उन्हें निलंबित किया।
🔹 उनके खिलाफ FIR दर्ज हुई।
और इस पूरे प्रकरण पर अरफा खानम ने लिखा:
“माफी नहीं, गिरफ़्तारी चाहिए।”
यानी एक महिला की क्षमायाचना को अस्वीकार कर सज़ा की माँग।

परन्तु जब स्वयं अरफा ने किया हिन्दू धर्म पर वार?
Secularism or Hypocrisy: 7 जून 2025 को, ईद-उल-अज़हा के दिन, अरफा खानम ने एक ऐसा पोस्ट किया जिसमें गाय को ईद के प्रतीक के रूप में दिखाया गया। वह भी एक नन्हे मुस्लिम बालक के साथ, मस्जिदों के बीच। यह कोई संयोग नहीं था — यह एक सोची-समझी, सांकेतिक चोट थी गौमाता की मर्यादा पर।
सनातन धर्म में गाय केवल एक पशु नहीं — “गावः सर्वसुखप्रदाः” — वह हमारी माता है, वह देवी है।
क्या यह चित्रण ईद के शुभकामना के लिए था, या हिन्दुओं को चिढ़ाने के लिए?

Secularism or Hypocrisy: अली सोहराब की घटिया हरकत: छद्म संवाद, स्पष्ट अपमान
8 जून 2025 को अली सोहराब ने एक पोस्ट किया जिसमें ‘हिंदू रिपोर्टर’ और ‘मुस्लिम चाचा’ के बीच एक संवाद रचा गया:
“हाँ, मैंने कई बार गाय का ज़बीहा किया है…”
“आप पूजा करें, यह हमारे लिए भोजन मात्र है…”
यह घिनौना कथन केवल एक समुदाय की भावनाओं पर चोट नहीं करता, यह भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने पर हथौड़ा है। यह वही विचारधारा है जो त्रिपुरा, बंगाल, केरल में हिन्दू प्रतीकों को जलाने और तोड़ने में अग्रणी रहती है।


अब आइए शर्मिष्ठा पनोली के मामले पर — दोहरा मापदंड उजागर
22 वर्षीय शर्मिष्ठा पनोली, एक लॉ छात्रा और सोशल मीडिया पर सक्रिय युवती, ने “ऑपरेशन सिंदूर” नामक एक प्रतीकात्मक वीडियो साझा किया। उस वीडियो में कथित तौर पर उन्होंने कुछ कटाक्ष किए, जिन्हें आपत्तिजनक माना गया।
परिणाम?
🔹 तुरंत गिरफ्तारी
🔹 न्यायिक हिरासत
🔹 वीडियो डिलीट करने और माफ़ी के बावजूद जेल
अब सवाल यह:
क्या अरफा खानम और अली सोहराब पर वही मानक लागू नहीं होता?
क्या हिन्दू भावनाओं की कोई कीमत नहीं?
‘सेक्युलर’ न्याय व्यवस्था की विसंगतियाँ
न्याय सबके लिए समान होना चाहिए — यह संविधान की आत्मा है। अनुच्छेद 14 इसकी गारंटी देता है। लेकिन वास्तविकता?
🔴 नूपुर शर्मा बोले तो अंतरराष्ट्रीय विवाद
🟢 अरफा गाय काटने की इमेज डाले तो ‘क्रिएटिव फ्रीडम’
🔴 शर्मिष्ठा पनोली बोले तो गिरफ्तारी
🟢 अली सोहराब बोले “गाय हमारे लिए भोजन मात्र है” — तो छूट
क्या हिन्दू होना ही अब अपराध बन गया है?
गौमाता का महत्व और आघात की पीड़ा
Secularism or Hypocrisy: “गाय में 33 कोटि देवता वास करते हैं”, ऐसा पुराणों में कहा गया है। श्रीकृष्ण ने गोकुल में गायों के साथ अपना जीवन आरंभ किया। गाय का दूध, गोबर, गोमूत्र — सब आयुर्वेद और भारतीय कृषि की रीढ़ है। गौहत्या को “महापाप” कहा गया है।
अगर आज कोई इस ‘माँ’ का मज़ाक बनाकर अपने पोस्ट्स में वध के संकेत दे, और हम चुप रहें — तो यह चुप्पी संस्कृति का संहार बन जाएगी।
मांग: सिर्फ नाराज़गी नहीं, कानूनी कार्यवाही हो
अब वक्त आ गया है कि शब्दों से आगे बढ़कर एक्शन हो:
- IPC 295A – धार्मिक भावनाओं को जानबूझ कर ठेस
- IPC 153A – समुदायों के बीच वैमनस्य
- IT Act 67 – आपत्तिजनक ऑनलाइन सामग्री
▪️ अरफा खानम शेरवानी पर मुकदमा और तुरंत गिरफ्तारी
▪️ अली सोहराब को आपराधिक साजिश और धार्मिक वैमनस्य फैलाने के लिए जेल
निष्कर्ष: भारत अब मौन नहीं रहेगा
Secularism or Hypocrisy: अरफा और अली ने जो किया वह “फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन” नहीं — वह हिन्दू अस्मिता पर कुत्सित हमला है। एक ओर, नूपुर और शर्मिष्ठा को नाथ कर जेल में डालने वाले ‘तटस्थ’ संस्थान जब गौमाता के अपमान पर मौन हैं — तब स्पष्ट है: भारत में एक ही समुदाय को हर अपराध के लिए कठघरे में खड़ा किया जा रहा है।
अब समय है कि हिन्दू समाज बोल उठे —
“हमें नफरत के खिलाफ कानून चाहिए, लेकिन सबसे पहले न्याय में समानता चाहिए।”
“गाय का अपमान अपराध है — और अपमान करने वाले अपराधी हैं।”
हमें ‘माफी’ नहीं चाहिए — अब सिर्फ गिरफ्तारी चाहिए!