अरविंद केजरीवाल इन दिनों सुर्खियों में छाये हुए है। क्योंकि वो दिन अब दूर नहीं है जब उन्हें वापस से जेल जाना होगा। केजरीवाल को जेल न जाना पड़े इसके लिए वो नए-नए हथकंडे अपनाते हुए नजर आ रहे हैं। अब उनका नया हथकंडा पीइटी और सीटी स्कैन जांच। इसको लेकर सीएम ने याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है।
दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में अंतरिम जमानत को 7 दिन बढ़ाने की मांग की थी। वहीं पार्टी का कहना है कि सीेएम को अभी PET-CT स्कैन के साथ ही कई दूसरे टेस्ट से भी गुजरना होगा, जिसके लिए उन्होंने 7 दिन का समय मांगा था।
आपको बता दें कि कोर्ट ने केजरीवाल को अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए 21 दिन की जमानत दी थी, जो 1 जून को समाप्त हो रही है और उन्हें 2 जून को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट का कहना है कि केजरीवाल को दिल्ली का CM और AAP पार्टी को एक राष्ट्रीय पार्टी मानते हुए यह फैसला लिया गया था। जब विपक्ष ने दिल्ली मुख्यमंत्री को बेल देने के इस फैसले पर सवाल उठाये तब कोर्ट ने जवाब देते हुए कहा था कि ” इसमें कोई शक नहीं है की उन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन अभी उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि उनका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है और न ही वो समाज के लिए खतरा है, इसलिए उन्हें चुनाव के दौरान अपनी पार्टी के प्रचार के लिए जमानत दी गयी है।
आप नेता आतिशी का बयान
इस बारे में जब आम आदमी पार्टी कि ही एक नेता आतिशी से बात कि गयी तो उन्होंने कहा “ईडी की हिरासत के दौरान सीएम का वजन 7 किलोग्राम कम हो गया और अचानक वजन कम होने से डॉक्टर चिंतित हैं।
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हिरासत से बाहर होने और चिकित्सीय निगरानी में रहने के बावजूद,उनका वजन नहीं बढ़ा। उन्होंने आगे कहा, ” शुरुआती जांच से पता चला है कि उनके कीटोन का स्तर बहुत अधिक है। उच्च कीटोन स्तर के साथ-साथ अचानक वजन कम होना, गुर्दे की क्षति और कैंसर सहित कुछ गंभीर चिकित्सा बीमारियों का संकेत हो सकता है। “इसलिए डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि उन्हें अपने पूरे शरीर के पीईटी स्कैन और ऐसे कई जांचों की आवश्यकता है।”
अरविंद केजरीवाल ने पहले क्यों नहीं कराये टेस्ट।
अब सवाल यह उठता है कि केजरीवाल ने अपने यह टेस्ट पहले क्यों नहीं कराये। बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को 10 मई को ही कोर्ट से जमानत मिल गयी थी। इस बीच वो काफी जोर-शोर से अपनी पार्टी की कम्पैनिंग करते दिख रहे थे, तो उस समय उन्होंने अपनी यह जरूरी टेस्ट क्यों नहीं कराये।
चलिए एक बार के लिए मान लेते है कि उन्होंने अपनी पार्टी को सर्वप्रथम रखा और अपने इस काम के लिए समय नहीं निकल पाए, लेकिन 7 दिन जमानत बढ़ाने का क्या तूक बनता है। PET-CT स्कैन कराने में ज़्यादा से ज़्यादा एक दिन लगता है, तो फिर सात दिन क्यों ? यह एक दिन वाली बात हम नहीं कह रहे है बल्कि खुद गूगल कह रहा है।
केजरीवाल की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत की अवधि 7 दिन बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी है, जिसके बाद उन्हें 2 जून को आत्मसमर्पण करके तिहाड़ जेल वापस जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस आधार पर अनुरोध स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।