Bangladeshi infiltrators: पहलगाम आंतकी हमले के बाद भारत ने बांग्लादेशी घुसपैठियों पर कार्रवाई तेज कर दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश से कहा है कि वह अपने अवैध नागरिकों को वापस लेने में तेजी लाए।
इस बीच भारत ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकाल बाहर करने के लिए एक नई तरकीब निकाली है। अनाधिकारिक रूप से इसे ‘ऑपरेशन पुश-बैक’ का नाम दिया गया है।
विदेश मंत्रालय ने 22 मई, 2025 को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि भारत में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक मौजूद हैं, जिन्हें वापस भेजना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत ने बांग्लादेश से इन लोगों की राष्ट्रीयता की पुष्टि करने का अनुरोध किया है।
उन्होंने बताया है कि वर्तमान में 2360 से अधिक ऐसे मामलों की सूची लंबित है। जायसवाल ने यह भी बताया कि इनमें से कई लोग जेल की सजा पूरी कर चुके हैं, लेकिन राष्ट्रीयता की पुष्टि की प्रक्रिया कई मामलों में 2020 से लंबित है।
भारत में 2 करोड़ से अधिक अवैध बांग्लादेशी
भारत ने लगातार बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या को उनके देश वापस भेजने के लिए पहले से बने प्रोटोकॉल का पालन किया है, लेकिन यह प्रक्रिया काफी धीमी और जटिल रही है।
अदालतों में मामले लटकने, बांग्लादेश के कई बार अपने नागरिकों को स्वीकार करने से इनकार किए जाने के कारण इसे यह प्रक्रिया तेजी से नहीं चल पाई है।
इसके उलट, बांग्लादेशी घुसपैठिए बाहर नहीं निकाले जा रहे। 2016 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं।
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को अलोकतांत्रिक तरीके से हटाने और मोहम्मद यूनुस के सत्ता में आने के बाद से यह स्थिति और भी बिगड़ गई है।
युनुस सरकार के भारत-विरोधी रवैये के चलते बांग्लादेश ने निर्वासन प्रोटोकॉल को एकदम निष्प्रयोज्य बना दिया है। इन सब चुनौतियों के बीच भारत सरकार ने अब एक कड़ा कदम उठाया है, जिसे अनौपचारिक रूप से ‘ऑपरेशन पुश-बैक’ कहा जा रहा है।
जानें क्या है ऑपरेशन पुश-बैक?
‘ऑपरेशन पुश-बैक’ भारत की मोदी सरकार की एक नई रणनीति है, जिसका उद्देश्य पूर्वी सीमा पर पकड़े जाने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं से त्वरित रूप से निपटना है। ये वे लोग हैं जो कई वर्षों से अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं।
इस ऑपरेशन के तहत अब उस पारंपरिक प्रक्रिया जैसे पुलिस को सौंपना, FIR दर्ज करना, अदालत में पेश करना, मुकदमा चलाना और फिर निर्वासन प्रोटोकॉल के तहत वापस भेजना को किनारे कर दिया गया है।
अब भारतीय सुरक्षाबल घुसपैठियों को तुरंत सीमा पार बांग्लादेश की ओर धकेल रहे हैं। यह इसलिए हो रहा है ताकि समय और संसाधनों की बचत हो और अवैध घुसपैठ पर तुरंत प्रभाव डाला जा सके।
‘ऑपरेशन पुश-बैक’ अप्रैल 2025 से चल रहा है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा है। हमने अब तय किया है कि हम कानूनी प्रक्रिया से नहीं गुजरेंगे।
घुसपैठियों को लेकर पहले यह थी प्रक्रिया
पहले, निर्णय यह था कि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाए और फिर उसे भारतीय कानूनी व्यवस्था में लाया जाए… पहले भी हम 1000-1500 विदेशियों को गिरफ्तार करते थे…उन्हें जेल भेजा जाता था और फिर उन्हें अदालत में पेश किया जाता था।”
उन्होंने आगे कहा, “अब, हमने तय किया है कि हम उन्हें देश के अंदर नहीं लाएँगे, हम उन्हें धकेलेंगे। यह पुश-बैक एक नई घटना है। हर साल करीब 5,000 लोग देश में प्रवेश करते हैं और पुश-बैक की वजह से यह संख्या अब कम हो जाएगी।”
इस नई प्रक्रिया में बांग्लादेशी नागरिकों को भारत के दिल्ली-मुंबई या सूरत जैसे शहरों से पकड़ा जाता है। इसके बाद उन्हें पहले त्रिपुरा, असम या पश्चिम बंगाल लाया जाता है और फिर वहाँ से बांग्लादेश भेजा जाता है।
इस तरह की एक कार्रवाई 4 मई 2025 को हुई। इस दिन एयर इंडिया की दो उड़ानों के ज़रिए गुजरात से 300 बांग्लादेशी नागरिकों को अगरतला लाया गया और उन्हें ज़मीनी सीमा के रास्ते वापस भेजा गया। भारत में भी कई राज्यों ने अवैध अप्रवासियों की पहचान की प्रक्रिया को तेज़ कर दिया है।