IMF:अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान पर अपने राहत कार्यक्रम की अगली किस्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें लागू कर दी हैं। इसके साथ ही IMF ने चेतावनी दी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव योजना के राजकोषीय, बाह्य और संरचनात्मक सुधार लक्ष्यों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। यह जानकारी रविवार, 18 मई 2025 को मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आई।
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IMF:नई शर्तों में सख्ती, बजट को लेकर खास ज़ोर
IMF की ओर से 17 मई को जारी कर्मचारी स्तर की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि पाकिस्तान को 17,600 अरब रुपये के नए बजट को संसद से पारित कराना अनिवार्य होगा। इसमें से 10,700 अरब रुपये विकास कार्यों के लिए निर्धारित किए गए हैं।
इसके अलावा, बिजली उपभोक्ताओं पर ऋण भुगतान अधिभार में वृद्धि और तीन साल से अधिक पुरानी कारों के आयात पर से प्रतिबंध हटाना भी नई शर्तों में शामिल है।
रक्षा बजट में बढ़ोतरी पर IMF की नजर
भारत-पाक टकराव के बीच पाकिस्तान ने रक्षा बजट में उल्लेखनीय बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं। IMF रिपोर्ट के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष के लिए पाकिस्तान का रक्षा बजट 2,414 अरब रुपये तय किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक है।
हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने हालिया सीमा तनाव के बाद 2,500 अरब रुपये (18 प्रतिशत अधिक) आवंटित करने का संकेत दिया है।
भारत-पाक टकराव और IMF की चिंता
IMF:पिछले महीने भारत के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर कार्यवाही की थी। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की।
10 मई को दोनों देशों ने सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई, लेकिन IMF ने इन घटनाओं को आर्थिक कार्यक्रम के लिए संभावित खतरा बताया है।
अब तक 50 शर्तें, IMF का लगातार बढ़ता दबाव
एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, IMF अब तक पाकिस्तान पर कुल 50 शर्तें लगा चुका है। ताज़ा 11 शर्तों में कई नई नीतिगत बदलाव शामिल हैं:
प्रांतीय कर सुधार: सभी चार प्रांतों को नया कृषि आयकर कानून लागू करना होगा। इसमें करदाता पहचान, रिटर्न प्रोसेसिंग और अनुपालन सुधार जैसे तत्व शामिल हैं। इसके लिए जून तक की समयसीमा निर्धारित की गई है।
ऊर्जा क्षेत्र में सुधार: ऊर्जा क्षेत्र के लिए चार नई शर्तें लागू की गई हैं, जिनमें सब्सिडी की समीक्षा, बिलिंग प्रणाली में पारदर्शिता और भुगतान संरचना का पुनर्निर्धारण प्रमुख हैं।
प्रशासनिक संचालन योजना: IMF की सिफारिशों के आधार पर सरकार को प्रशासनिक कार्यप्रणाली में सुधार की योजना प्रकाशित करनी होगी।
वित्तीय क्षेत्र की रणनीति: सरकार को 2027 के बाद के लिए वित्तीय क्षेत्र की नई रणनीति तैयार कर उसे सार्वजनिक करना होगा।
पाकिस्तान की आर्थिक दिशा तय करेगा IMF का दबाव
इन शर्तों से साफ है कि IMF अब केवल आर्थिक संतुलन ही नहीं, बल्कि शासन की संरचना और नीतिगत फैसलों में भी गहराई से दखल दे रहा है। भारत से बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान पर यह दोहरा दबाव है—एक ओर घरेलू राजनीतिक और सामाजिक असंतोष, दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की सख्त निगरानी।
आगामी सप्ताहों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान IMF की इन शर्तों को कैसे लागू करता है और भारत से तनाव के बीच वह अपनी आर्थिक नीति को किस दिशा में मोड़ता है। स्पष्ट है, इस बार IMF का पैकेज महज़ एक आर्थिक समझौता नहीं, बल्कि एक जटिल राजनीतिक और भू-राजनीतिक कसौटी भी बन चुका है।