जब भी मिठाइयों की बात होती है, तो हमारी आँखों के सामने सबसे पहले जो तस्वीर आती है, वो होती है चाहती में डूबी, कुरकुरी, सुनहरी जलेबी की। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मीठा व्यंजन सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि हमारे शरीर और मन के लिए भी एक औषधि है?
आयुर्वेदिक ग्रंथों, धार्मिक परंपराओं और पुराने राजदरबारों के भोज पत्रों में जलेबी को एक ऐसी मिठाई-दवा बताया गया है, जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता था — और आज भी इसके लाभ आश्चर्यचकित कर सकते हैं।
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आयुर्वेद में जलेबी: स्वाद में औषधि
जलेबी को आयुर्वेद में जलोदर (Ascites) जैसी बीमारी के इलाज में प्रयोग किया जाता था। खास बात यह कि दही के साथ जलेबी खाने से मधुमेह (शुगर) की समस्या को नियंत्रित करने की परंपरा भी रही है — जो सुनने में विरोधाभासी लगता है, पर संतुलन की मात्रा में इसका चिकित्सकीय प्रयोग होता था।
वज़न और लंबाई बढ़ाने में सहायक
आयुर्वेदिक मान्यताओं के अनुसार, खाली पेट दूध-जलेबी का सेवन बच्चों और किशोरों में शारीरिक विकास को प्रोत्साहित करता है। इसका उपयोग शरीर को बल देने, पाचन को सुधारने और लंबाई बढ़ाने के लिए किया जाता था।
सिर दर्द और माइग्रेन का इलाज भी है जलेबी
एक प्राचीन औषधीय नुस्खा बताता है कि सूर्योदय से पहले दूध के साथ जलेबी का सेवन, माइग्रेन और सिर दर्द को शांत करता है। यह विधि न केवल शरीर को ऊर्जा देती है, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करती है।
देवी-देवताओं को भी प्रिय है जलेबी
भारतीय धार्मिक परंपराओं में जलेबी को भोग के रूप में चढ़ाने का विशेष महत्व है। आदि शंकराचार्य द्वारा रचित देवी पूजा पद्धति में ‘हरिद्रान पुआ’ और जलेबी को भगवती को अर्पित करने का उल्लेख है।
शनिदेव की पूजा में इमरती, जो उड़द दाल से बनी होती है, को कौवों और कुत्तों को खिलाकर शनि दोष से राहत पाने का उपाय बताया गया है। ये मान्यताएँ आज भी ग्रामीण और शहरी भारत के कई भागों में जीवित हैं।
संस्कृत ग्रंथों में वर्णित ‘रस कुंडलिका’
क्या आप जानते हैं कि प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में जलेबी को ‘रस कुंडलिका’ और ‘जल वल्लीका’ जैसे नामों से पुकारा गया है? ‘गुण्यगुणबोधिनी’ जैसे ग्रंथों में इसकी बनाने की विधि और औषधीय गुणों का विवरण मिलता है।
जलेबी का कुंडलीनुमा आकार सिर्फ देखने में सुंदर नहीं, बल्कि इसका सीधा संबंध आंतों और पाचन तंत्र से भी जोड़ा गया है। कब्ज जैसी समस्याओं में यह रामबाण मानी जाती है।
जलेबी है जीवनशैली का हिस्सा
जलेबी एक ऐसी भारतीय परंपरा है, जो स्वाद, चिकित्सा और अध्यात्म — तीनों का संगम है। आधुनिक विज्ञान भले इसकी मिठास से डरे, लेकिन भारतीय ज्ञान परंपरा ने इसे एक सन्तुलित औषधि के रूप में देखा है।
अब जब अगली बार आप किसी हलवाई की दुकान से जलेबी लें, तो याद रखिए — आप सिर्फ मिठाई नहीं, एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति की अमूल्य धरोहर को हाथ में ले रहे हैं।