Murshidabad: बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुए दंग में सैकड़ों हिन्दूओं बेघऱ हो गए है। लोगों के घरों से पैसे-गहने सब लूट लिए गए और जब इनसे भी मन ना भरा तो घर को जला दिया गया। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गई थी।
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Murshidabad: कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण
इस पर जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई ने सुनवाई करते हुए कहा है कि वहां पर राष्ट्रपति शासन लगाना यानि कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण करने के बराबर है। इसी के साथ ही लोगों ने तत्काल प्रभाव से पैरामिलिट्री फोर्स के तैनाती की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकता
वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि मंगलवार को सुनवाई के लिए कुछ खास दस्तावेज दाखिल करना चाहता हूं। इसी के साथ ही उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद में शांति बनाये रखने के लिए कोर्ट केंद्र को फोर्स तैनात करने का आदेश दे। जज बी. आर. गवई ने कहा कि क्या आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को कोई आदेश दें? उन्होंने साफ कहा कि पहले ही कोर्ट पर सरकार के कामों में दखल देने का आरोप लग रहा है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकता।
राज्यपाल को उसे मंजूरी देनी पड़ेगी
इस मामले की पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट का एक और फैसला भी चर्चा में है जो तमिलनाडु के राज्यपाल को लेकर आया था। उस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल विधानसभा से पास किए गए बिलों को लंबे समय तक रोके नहीं रख सकते। उन्हें तय समय में फैसला लेना होगा, मंजूरी देना हो या रोकना हो या राष्ट्रपति के पास भेजना हो। अगर विधानसभा वही बिल दोबारा पास कर दे तो फिर राज्यपाल को उसे मंजूरी देनी ही पड़ेगी।
संसद, सरकार की तरह करे काम
कोर्ट के इसी फैसले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नाराज़गी जताई थी। उन्होंने कहा कि भारत में ऐसा लोकतंत्र नहीं हो सकता जहां जज खुद संसद या सरकार की तरह काम करें। उन्होंने कहा कि कोर्ट को राष्ट्रपति को निर्देश देने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
संसद और विधानसभाओं का मतलब नहीं
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने भी सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की। उन्होंने कहा कि अगर हर फैसला कोर्ट को ही लेना है तो संसद और विधानसभाओं का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब राम मंदिर या ज्ञानवापी जैसे मामलों की बात होती है, तो कोर्ट सबूत मांगता है, लेकिन जब किसी पुरानी मस्जिद की बात आती है तो कोर्ट कहता है कि इतने पुराने कागज़ कहां से लाएंगे।
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