Jain Mandir: मुंबई के विले पार्ले इलाके में स्थित 90 साल पुराने दिगंबर जैन मंदिर को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा 16 अप्रैल को ढहा दिया गया। यह मंदिर नेमिनाथ कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के भीतर बना हुआ था। बीएमसी का कहना है कि यह एक “अनधिकृत ढांचा” था, इसलिए तोड़फोड़ की गई।
हालांकि, जैन समाज का कहना है कि मंदिर करीब 30 साल से वहां स्थित है और यह एक पूजास्थल है, जिसे बिना किसी पूर्व सूचना या सुनवाई के तोड़ दिया गया। इस मामले को लेकर समुदाय में भारी नाराजगी देखने को मिली।
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Jain Mandir: हाईकोर्ट में मामला और बीएमसी की जल्दबाज़ी
जैन ट्रस्ट ने बीएमसी की तोड़क कार्रवाई के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने 15 अप्रैल तक के लिए बीएमसी की कार्रवाई पर रोक लगाई थी। जैन समुदाय के मुताबिक, वे 16 अप्रैल को स्टे आर्डर बढ़वाने के लिए फिर से कोर्ट जाने वाले थे, लेकिन उसी सुबह बीएमसी की टीम बुलडोजर लेकर पहुंच गई और मंदिर ढहा दिया गया।
Jain Mandir: सोसाइटी के लोगों का आरोप है कि बीएमसी ने जानबूझकर होटल मालिक से मिलीभगत कर यह कार्रवाई की, जिसने पहले मंदिर को अवैध बताते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।

विरोध प्रदर्शन और राजनेताओं की भागीदारी
Jain Mandir: 19 अप्रैल को जैन समाज ने इस घटना के विरोध में विले पार्ले स्टेशन से बीएमसी के-ईस्ट वार्ड कार्यालय तक एक शांतिपूर्ण (साइलेंट) मोर्चा निकाला। इस प्रदर्शन में 20,000 से अधिक लोग शामिल हुए, जिनमें जैन संत, धार्मिक नेता, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल थे।
इस मोर्चे में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, भाजपा विधायक पराग अलवाणी, और मुरजी पाटिल जैसे नेता भी शामिल हुए। ये सभी अपनी ही सरकार के खिलाफ इस कार्रवाई की निंदा करते दिखे। विधायक मुरजी पाटिल ने कहा, “हम सत्ताधारी विधायक होते हुए भी आज सड़कों पर हैं, क्योंकि यह मामला हमारे धर्म से जुड़ा है। हम मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मिलकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे।”
Jain Mandir: बीएमसी अधिकारी का तबादला, निलंबन की मांग
विरोध के बाद बीएमसी ने कार्रवाई करते हुए के-ईस्ट वार्ड के प्रभारी सहायक आयुक्त नवनाथ घाडगे का तत्काल प्रभाव से तबादला कर दिया है। हालांकि, जैन समाज इस कार्रवाई को नाकाफी मानते हुए घाडगे के निलंबन की मांग कर रहा है।
महाराष्ट्र गौशाला संघ के परेश शाह ने कहा, “यह न सिर्फ एक धार्मिक स्थल को तोड़ने का मामला है, बल्कि आस्था को ठेस पहुंचाने का भी है। बिना ट्रस्टियों को सुनवाई का मौका दिए मंदिर तोड़ना, नियमों की अवहेलना है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया और आगे की राह
Jain Mandir: विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने भी इस मामले में बीएमसी और भाजपा सरकार की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “90 साल पुराने मंदिर को बिना सुनवाई ढहाया गया। भाजपा को देश में सहिष्णुता और सौहार्द से क्या दुश्मनी है?”
अब यह मामला न केवल धार्मिक और सामाजिक स्तर पर संवेदनशील बन गया है, बल्कि राजनीतिक रंग भी ले चुका है। पूरे महाराष्ट्र की नजर अब मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया पर टिकी है कि वे इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।
विले पार्ले में मंदिर का गिराया जाना एक प्रशासनिक कार्रवाई भर नहीं, बल्कि धार्मिक भावनाओं से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा बन गया है। जैन समाज इस मामले को पूरी ताकत से उठा रहा है, और यदि संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन और तेज होने की संभावना है।