Tuesday, April 15, 2025

Supreme Court On Trafficking: सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की जमानत नीति पर उठाए सवाल, जताई गहरी नाराज़गी

Supreme Court On Trafficking: सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड ट्रैफिकिंग मामले में सुनवाई की और बिना कोई शर्त लगाए आरोपियों को जमानत देने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट पर सवाल खड़े किये।

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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण सुनवाई में चाइल्ड ट्रैफिकिंग से जुड़े एक गंभीर मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से आरोपियों को बिना शर्त जमानत दिए जाने पर सख्त आपत्ति जताई है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि अगर कोई व्यक्ति नि:संतान है और संतान पाने की इच्छा रखता है, तो इसका यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता कि वह एक मासूम बच्चे को चोरी या तस्करी के जरिए हासिल कर ले।

Supreme Court On Trafficking: सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने उस दंपति के कृत्य को अमानवीय बताया, जिन्होंने 4 लाख रुपये में एक बच्चा खरीदा, यह जानते हुए भी कि वह बच्चा चोरी किया गया है। कोर्ट ने टिप्पणी की, “अगर किसी को संतान चाहिए, तो इसका मतलब यह नहीं कि वो तस्करी किए गए बच्चे को खरीद ले। इस तरह की खरीद-फरोख्त, विशेष रूप से बच्चों के मामले में, पूरी व्यवस्था और सामाजिक नैतिकता पर हमला है।”

Supreme Court On  Trafficking: इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल

Supreme Court On Trafficking: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर भी सख्त नाराज़गी जताई जिसमें आरोपियों को बिना किसी सख्त शर्त के जमानत दे दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि कम से कम उन्हें पुलिस स्टेशन में नियमित हाज़िरी लगाने जैसी बुनियादी शर्तें तो लगानी ही चाहिए थीं, ताकि उन पर निगरानी रखी जा सके। फिलहाल पुलिस के पास इन आरोपियों का कोई रिकॉर्ड तक नहीं है, जिससे यह मामला और भी चिंताजनक हो गया है।

“माता-पिता का दर्द समझो”

कोर्ट ने विशेष रूप से उन माता-पिता की पीड़ा को रेखांकित किया जिनके बच्चे इन गिरोहों के हाथों से गायब हुए। कोर्ट ने कहा, “उन माता-पिता के दर्द को समझने की ज़रूरत है जिनका बच्चा किसी अज्ञात तस्करी गिरोह के कब्जे में है। एक इंसान अगर संतान पाने की पीड़ा से गुजर रहा है तो भी वह कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता।”

Supreme Court On  Trafficking: राज्य सरकार और न्याय व्यवस्था पर भी तल्ख टिप्पणी

Supreme Court On Trafficking: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यशैली और गंभीरता पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई ठोस पहल नहीं दिखी, जो बेहद निराशाजनक है।

केस की पृष्ठभूमि

Supreme Court On Trafficking: यह मामला वाराणसी और उसके आसपास के क्षेत्रों में बच्चों की चोरी की घटनाओं से जुड़ा है। पिछले वर्ष इस मामले के कई आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। इससे आहत होकर पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

सख्त निर्देश और समाधान की राह

Supreme Court On Trafficking: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि इस मामले में भारतीय अनुसंधान संस्थान (Indian Institute) की रिपोर्ट को राज्य सरकार गंभीरता से ले और जल्द से जल्द उसमें सुझाए गए बिंदुओं को लागू किया जाए। साथ ही, देशभर की सभी हाईकोर्ट को यह निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में चाइल्ड ट्रैफिकिंग से संबंधित लंबित मामलों की स्थिति की समीक्षा करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि इन मुकदमों की प्रतिदिन सुनवाई कर छह महीने के भीतर उनका निपटारा किया जाए।

यह निर्णय केवल एक मामले की सुनवाई नहीं था, बल्कि यह एक बड़ी सामाजिक चेतावनी है। सुप्रीम कोर्ट का यह रुख दर्शाता है कि चाइल्ड ट्रैफिकिंग जैसे घिनौने अपराध में कोई भी ढिलाई या संवेदनहीनता स्वीकार नहीं की जाएगी। संतान की चाहत को मानवता और कानून के दायरे में ही रहकर पूरा करना होगा — किसी और की गोद उजाड़कर नहीं।

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