Char Dham Yatra 2025: चारधाम यात्रा 2025 को लेकर देशभर में श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। अब तक देश के 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कुल 14 लाख 54 हजार 532 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा अनिवार्य किए गए इस पंजीकरण में महाराष्ट्र शीर्ष पर है, जहां से सबसे अधिक दो लाख 57 हजार 174 श्रद्धालुओं ने नाम दर्ज कराया है।
इसके बाद उत्तर प्रदेश से एक लाख 83 हजार 950, आंध्र प्रदेश से एक लाख 66 हजार 899, मध्यप्रदेश से एक लाख 44 हजार 604 और गुजरात से एक लाख 39 हजार 630 श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि देश के हर कोने से श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा में भाग लेने को उत्सुक हैं और देवभूमि उत्तराखंड की ओर रुख कर रहे हैं।
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Char Dham Yatra 2025: लाखों लोगों ने कराया रजिस्ट्रेशन
चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले केदारनाथ धाम के लिए अब तक 4 लाख 90 हजार 148 से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन किया है। बद्रीनाथ धाम के लिए चार लाख 34 हजार 587, गंगोत्री के लिए दो लाख 61 हजार 427, यमुनोत्री के लिए दो लाख 48 हजार 127 और सिख श्रद्धालुओं के प्रसिद्ध तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब के लिए अब तक 20,243 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में दर्शन के लिए विशेष आकर्षण बना हुआ है।
श्रद्धालुओं में उत्साह
दूसरे राज्यों की बात करें तो राजस्थान से 99 हजार 80, कर्नाटक से 56 हजार 29, दिल्ली से 54 हजार 925, तेलंगाना से 51 हजार 699, पश्चिम बंगाल से 51 हजार 351 छत्तीसगढ़ से 45 हजार 295, बिहार से 42 हजार 430, हरियाणा से 36 हजार 735, ओडिशा से 33 हजार 670, झारखंड से 21 हजार 164, तमिलनाडु से 15 हजार 577, पंजाब से 13 हजार 451 और उत्तराखंड से 12 हजार 954 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है। पूर्वोत्तर राज्यों से भी उत्साहजनक भागीदारी देखी गई है।
असम से 2हजार 423, त्रिपुरा से 635, सिक्किम से 247, मणिपुर से 80, मेघालय से 48 तथा अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड से 18-18 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है, जिससे साफ है कि देश के सुदूर और सीमावर्ती क्षेत्रों से भी श्रद्धालु इस यात्रा को लेकर भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं।
GPS से रखी जाएगी निगरानी
उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के नोडल अधिकारी योगेंद्र कुमार गंगवार ने बताया कि चारधाम यात्रा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पंजीकरण को अनिवार्य बनाए जाने के पीछे मकसद श्रद्धालुओं की सुरक्षा, निगरानी और सुविधा को सुनिश्चित करना है। जीपीएस आधारित निगरानी प्रणाली के माध्यम से यात्रियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी, जिससे किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता पहुंचाई जा सकेगी।
साथ ही यात्रियों को रियायती दरों पर भोजन और आवास की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। पंजीकरण करने वाले श्रद्धालुओं को एक विशिष्ट यात्रा कार्ड जारी किया जा रहा है, जो यात्रा के दौरान उनकी पहचान और सुविधा का माध्यम बनेगा।
टोकन के जरिए दर्शन
धामों पर पहुंचने के बाद टोकन व्यवस्था के माध्यम से दर्शन की सुविधा दी जा रही है, ताकि भीड़ नियंत्रण बना रहे और हर किसी को समय पर दर्शन का अवसर मिले। पंजीकरण की प्रक्रिया को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से संचालित किया जा रहा है, जिससे तकनीकी सुविधा न रखने वाले लोग भी आसानी से इस पावन यात्रा में शामिल हो सकें।
कुल मिलाकर, चारधाम यात्रा 2025 न सिर्फ श्रद्धा और आस्था का पर्व बनकर उभर रही है, बल्कि यह भी दिखा रही है कि उत्तराखंड ने व्यवस्था, तकनीक और सेवा के जरिए तीर्थाटन का एक नया मानदंड स्थापित किया है।
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