Chamoli: उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में ग्लेशियर टूटने से बड़ा हादसा हुआ है। इस आपदा में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के 57 मजदूर हिमस्खलन की चपेट में आ गए। अब तक 20 मजदूरों को सुरक्षित बचा लिया गया है, जबकि 37 अभी भी लापता हैं। भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), बीआरओ और सेना की टीमें लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं।
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Chamoli: बर्फबारी के कारण हो रही मुसीबत
यह घटना देर रात हुई, जब मजदूर अपने टेंट में सो रहे थे। यदि यह हादसा दिन के समय हुआ होता, तो शायद मजदूरों को जान बचाने का मौका मिल जाता। भारी बर्फबारी और दुर्गम इलाके के कारण बचाव कार्य में कठिनाइयां आ रही हैं। एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियां ड्रोन व हेलीकॉप्टर की मदद से बचाव अभियान चला रही हैं, लेकिन प्रतिकूल मौसम के कारण ऑपरेशन धीमा हो गया है।
हाईवे चौड़ीकरण का चल रहा था काम
बीआरओ इस क्षेत्र में 50 किलोमीटर के दायरे में हाईवे चौड़ीकरण और डामरीकरण का काम करवा रहा था। यह कार्य ईपीसी कंपनी के माध्यम से हो रहा था, और मजदूर वहीं टेंट लगाकर रह रहे थे। मौसम विभाग ने पहले ही 28 फरवरी को भारी बर्फबारी की चेतावनी जारी की थी, इसके बावजूद निर्माण कार्य जारी रहा। अब सवाल उठ रहा है कि चेतावनी के बावजूद मजदूरों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किए गए?
सीएम ने जताया दुख
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर दुख जताया और भगवान बद्री विशाल से सभी मजदूरों की सुरक्षा की प्रार्थना की है। सहस्त्रधारा हेलीपैड को अलर्ट पर रखा गया है ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत सहायता पहुंचाई जा सके। प्रशासन ने हाई-एल्टीट्यूड रेस्क्यू टीम को भी तैनात कर दिया है। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, लेकिन खराब मौसम और भारी बर्फबारी के कारण स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। सेना, बीआरओ और एसडीआरएफ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। उम्मीद है कि जल्द ही सभी मजदूरों को सुरक्षित निकाला जा सकेगा।