Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा में मंत्री अविनाश गहलोत की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए “आपकी दादी” कहे जाने पर पैदा हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। इसके बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को अपशब्द कहे तो मामला और बढ़ गया। सत्ता पक्ष ने इसे सदन की गरिमा के खिलाफ बताते हुए डोटासरा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। ऐसे में डोटासरा का निलंबन आगे 4 साल तक बढ़ सकता है, जिससे उनकी विधायकी पर भी संकट आ सकता है।
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Rajasthan Politics: बढ़ सकता है डोटासरा का निलंबन
यदि भारतीय जनता पार्टी और स्पीकर सख्त कार्रवाई के पक्ष में रहते हैं, तो कांग्रेस नेता डोटासरा का निलंबन बढ़ सकता है। चूंकि विधानसभा में बीजेपी का बहुमत है, इसलिए वोटिंग में प्रस्ताव पास होना तय माना जा रहा है। हालांकि, राजस्थान विधानसभा में पहले भी विधायकों को सस्पेंड करके बाद में माफी देकर वापस लेने की परंपरा रही है। ऐसे में यह देखना होगा कि इस मुद्दे को कैसे सुलझाया जाता हैं।
निलंबन का फैसला सदन की वोटिंग से
हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष देवनानी खुद भी डोटासरा के खिलाफ सख्त कदम उठा सकते थे, लेकिन विधानसभा के नियम 292 के तहत निलंबन का फैसला सदन की वोटिंग से होता है। परंपरागत रूप से स्पीकर इस तरह के मामलों में प्रत्यक्ष फैसला नहीं लेते, बल्कि सदन में प्रस्ताव लाकर मतदान करवाते हैं। दरअसल, डोटासरा पहले से ही छह अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ बजट सत्र के लिए निलंबित हैं। अब सवाल यह है कि क्या उनका निलंबन बढ़ाने से लेकर विधायकी खत्म करने तक की कार्रवाई संभव है।
जानें अब क्या हो सकता है?
सदन चाहे तो गोविंद सिंह डोटासरा को पूरे कार्यकाल के लिए निलंबित कर सकता है।
विधानसभा अध्यक्ष चाहें तो मामला सदाचार समिति को सौंप सकते हैं, जो आगे की कार्रवाई तय करेगी।
विधानसभा चाहे तो डोटासरा की सदस्यता भी खत्म कर सकती है, लेकिन इसकी प्रक्रिया लंबी होगी।
अगर सदाचार समिति सदस्यता समाप्त करने की सिफारिश करती है, तो इसे सदन में रखा जाएगा।
राज्यपाल की मंजूरी के बाद निर्वाचन आयोग उस सीट को खाली घोषित करेगा।
व्यवहारिक रूप से ऐसा कम ही होता है, लेकिन डोटासरा को माफी मांगने का विकल्प दिया जा सकता है।
डोटासरा के बयान सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं थे, लेकिन विधानसभा परिसर में अमर्यादित आचरण करने पर भी कार्रवाई संभव है।
विधानसभा परिसर में अनुशासनहीनता पर स्पीकर के पास कार्रवाई करने के विशेष अधिकार हैं।
डोटासरा पर स्पीकर के विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया जा सकता है।
स्पीकर चाहें तो अपने स्तर पर एक्शन लेकर नया उदाहरण पेश कर सकते हैं।
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