Nokia Downfall: आज भी अगर किसी का फ़ोन गिर जाए और टूटे नहीं, तो लोग हंसी में कहते है, लगता है नोकिआ का फ़ोन है। नोकिआ एक ऐसी कंपनी जिसने 14 साल दुनिया पर राज किया, एक ऐसी कंपनी जिसकी तारीफ अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने भी करी। मगर आज यह कंपनी मार्केट से बहार है। अब ऐसा क्या हुआ की एक समय पर जिस कंपनी ने करोड़ों लोगों को जोड़ा, इतना नाम कमाया, वो अचानक गायब हो गयी। यह कहानी है नोकिया के शिखर से गिरने की।
Table of Contents
Nokia Downfall: कैसे हुई शुरुवात ?
साल 1871 में फिनलैंड के इंजीनियर फेड्रिक इदेस्तैम और नियो मैकलिन ने नोकिआ शहर के पास एक कागज बनाने वाली कंपनी ‘नोकिया ऐब’ की स्थापना की। किसे पता था कि यह कंपनी एक दिन दुनिया के सबसे ज्यादा बिकने वाले मोबाइल बनाएगी! धीरे-धीरे यह टायर, केबल और इलैक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में पहुंची। 1967 में नोकिया ऐब, रबर वर्क्स और केबल फैक्ट्री के मर्जर से नोकिया बनी और 80 के दशक में इसने मोबाइल टेक्नोलॉजी में कदम रखा।
Nokia Downfall: इसके बाद 1989 में पहला सिम कार्ड वाला फोन लॉन्च किया और 1991 में दुनिया की पहली जीएसएम कॉल भी नोकिया फोन से ही की गई। नोकिआ का नारा “कनेक्टिंग पीपल’ सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि हकीकत थी। इसके फ़ोन इतने मजबूत थे की इसके 3310 और 1100 मॉडल के लिए कहा जाता था “अगर इसे दीवार पर मार दो, तो दीवार टूट जाएगी!” स्नेक गेम, एसएमएस जैसे फीचर्स ने लोगों को बहुत पसंद आये।
यहाँ तक की पहली बार मोबाइल में इंटरनेट की सुविधा भी नोकिया ने ही दी थी । कंपनी ने प्रेमिएम से लेकर बेसिक तक हर वर्ग के लिए फोन बनाए, और बड़े से लेकर छोटे देशों तक के बाजारों में लीडर बनी। इसकी पहुंच 150 देशों तक थी।
Nokia Downfall: कंपनी हुई बंद
Nokia Downfall: मगर 2006 में जब कंपनी के सीईओ बदले गए, तो हालात बिगड़ गए। जोरमा ओलिल्ला की जगह आये ओली-पेक्का कल्लास्युओ ने इनोवेशन को नजरअंदाज कर दिया। जब सैमसंग और एप्पल तेजी से नए-नए फीचर ला रहे थे, नोकिया अपनी पुरानी स्ट्रेटेजी पर ही अटका रहा।
लेकिन 2007 में जब एप्पल ने पहला आईफोन लॉन्च किया तो सब बदल गया। दुनिया टचस्क्रीन की तरफ बढ़ने लगी, लेकिन नोकिया अब भी कीपैड को पकड़े बैठा था। जब सैमसंग और बाकी कंपनियां एंड्रॉयड पर जा रही थीं, तब नोकिया ने विंडोज ओएस को चुना। यही उसकी सबसे बड़ी गलती थी। इसका ऑपरेटिंग सिस्टम न तो यूजर-फ्रेंडली था, न ही डेवलपर्स के लिए आसान। जिसकी वजह से लोग नए ऑप्शंस की तरफ भागने लगे और नोकिया पिछड़ने लगा।
आखिरकार 2014 में नोकिया ने अपना मोबाइल बिजनेस माइक्रोसॉफ्ट को 700 करोड़ डॉलर में बेच दिया। बदलाव न लाने की जिद की वजह से एक समय मोबाइल इंडस्ट्री पर राज करने वाली कंपनी, अब सिर्फ एक याद बन के रह गयी। हालाँकि अभी भी नोकिया पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। अब यह कंपनी 5G टेक्नोलॉजी, नेटवर्किंग और इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स पर फोकस कर रही है। फ़िलहाल कंपनी 7000 से ज्यादा 5G पेटेंट बना चुकी है और नासा के साथ मिलकर चांद पर 4G नेटवर्क लगाने की तैयारी कर रही है।
नोकिया की कहानी बताती है कि अगर आप समय के साथ नहीं बदलते, तो आप पीछे रह जाते हैं। एक समय जिस कंपनी का मोबाइल हर हाथ में था, सड़क किनारे लगी दुकानों से लेकर बिजनेस मीटिंग तक, हर जगह दिखता था, जिसकी रिंगटोन सुनते ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी, आज उसका नामो निशान ख़तम हो चुका है।
यह भी पढ़े: Rajasthan BJP: मदन राठौड़ को मिली राजस्थान BJP की कमान, निर्विरोध जीत रचा इतिहास, जानें कौन हैं राठौड़?