US: भारत में US फडिंग का मुद्दा गरमाता जा रहा है। ऐसा बताया जा रहा है कि 24 सालों में US एड ने 25,112 करोड़ रुपये की धनराशि बांटी है। भारत सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
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US: 2004 से मिल रही फंडिंग
अमेरिकी विदेश सहायता वेबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक, 2001 से 2024 के बीच अमेरिका ने भारत को कुल 2.9 बिलियन डॉलर (25,112 करोड़ रुपये) की सहायता दी थी। एनडीए सरकार (2014-2024) के दौरान 1.3 बिलियन डॉलर (44.4%) और यूपीए सरकार (2004-2013) के दौरान 1.2 बिलियन डॉलर (41.3%) का अनुदान मिला था।
CEPPS के जरिए 5 लाख डॉलर की सहायता
वहीं अगर बात कि जाये चुनाव में दी गई धनराशि कि तो चुनाव और राजनीतिक प्रक्रिया सुदृढ़ीकरण संघ (CEPPS) को दी गई है। जो लोकतांत्रिक संस्थाओं को बढ़ावा देने का कार्य करता है। वहीं 2013 में भारत को CEPPS के जरिए 5 लाख डॉलर की सहायता राशि मंजूर की गई थी। इन सबको लेकर ट्रंप का कहना है कि क्या आप सोच सकते है कि इतना सारा पैसा इंडिया कैसे जा रहा है। मुझे सोचकर हैरानी हो रही है कि ये रिश्वत योजना है। ये इसे उन लोगों को वापस देते है जो इसे भेजते है।
फंडिंग को लेकर बवाल
दूसरी तरफ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल का कहना है कि US एड की गतिविधियों व फंडिंग के बारे में दी गई जानकारी परेशान करने वाली है। पवन खेड़ा ने कहा कि मोदी सरकार को गिराने के लिए US एड की तरफ से 21 मिलियन डॉलर दिए गए है। इतनी सारी सुरक्षा एंजेसियों के होने के बावजूद विदेशी धन भारत आने दिया गया तो ये शर्म की बात है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमें यह पता लगाना चाहिए की वे कौन लोग है जिन्होंने इस प्रकार की गतिविधियां होने दी।