One Nation, One Election: केंद्र सरकार “एक देश, एक चुनाव” के तहत लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान संशोधन विधेयक अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में पेश कर दिया है। इस बिल को लेकर पक्ष और विपक्ष में सियासी घमासान देखने को मिल रहा है। इस बिल को लेकर विपक्ष का कहना है कि ये बिल वोट देने के अधिकार पर चोट है। इसके साथ ही संवैधानिक संघीय ढांचे को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। वहीं गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पर कोई भी विचार रख सकता है, लेकिन कांग्रेस पार्टी का विचार करना यानि विरोध करना ही है।
One Nation, One Election: 1971 में इंदिरा गांधी ने 11 महीने पहले कराया था चुनाव
बता दें कि देश आजाद होने के बाद तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ हुआ करता था। 1969 में बिहार के मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री की सरकार अल्पमत में आ गई और इसकी वजह से विधानसभा भंग हो गई। वहीं दूसरी तरफ 1971 में इंदिरा गांधी ने 11 महीने पहले लोकसभा चुनाव करा लिए थे, जिसकी वजह से केंद्र औऱ राज्य के चुनाव आगे-पीछे हो गए थे। वहीं अगर अगर अब ऐसे में यह कानून लागू होता है तो देश में एक बार फिर से लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ होंगे।
कैबिनेट ने दो ड्रॉफ्ट कानूनों को पेश करने की मंजूरी दी
बता दें कि 20 दिसंबर तक संसद का शीतकालीन सत्र चलेगा। इससे पहले इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा। वहीं बीते 12 दिसंबर को पीएम मोदी ने कैबिनेट के बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी थी। दूसरी तरफ बात की जाए तो कैबिनेट ने दो ड्रॉफ्ट कानूनों को पेश करने की मंजूरी दी है, जिसमें ‘One Nation, One Election’ और दूसरा तीन केंद्र शासित प्रदेशों में एक साथ चुनाव कराने को लेकर। विपक्षी दलों से बातचीत की जिम्मेदारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, किरेन रिजिजू औऱ अर्जुन राम मेघवाल को दी गई है।
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