सीरिया में बशर अल असद की सत्ता का तख्तापलट हो चुका है, जिसकी वजह से ईरान सीरिया और हिजबुल्ला का गुट अब पूरी तरह से बिखर चुका है। इस घटना ने ईरान को न सिर्फ कूटनीतिक रुप से बल्कि रणनितिक रूप से भी कमजोर कर दिया है। बता दें कि ईरान लंबे समय से सीरिया को अपनी क्षेत्रीय रणनीति का केंद्र मानता रहा है। गौरतलब है कि सीरिया हमास औऱ हिजबुल्ला को पैसे और हथियार पहुंचाया करता था। ईरान के सुप्रीमो खामेनेई ने कहा कि सीरिया से अमेरिका को खदेड़ देंगे और उसके इरादे कामयाब नहीं होने देंगे।
सीरिया में तख्तापलट, 20 प्रतिशत सीरिया पर विद्रोही गुट का कब्जा
बता दें कि विद्रोही समूह हयात तहरीर का सीरिया में तख्ता पलट के बाद सिर्फ 20 प्रतिशत ही कब्जा है। विद्रोह के बाद से यह शहर 7 हिस्सों में बंट चुका है। जो अलग अलग विद्रोहियो के कब्जे में है। राष्ट्रपति असद का सीरिया में 50 करोड़ के ड्रग का बहुत बड़ा साम्राज्य हुआ करता था। वहीं 1700 लोगों की मौत के जिम्मेदार असद के भाई मेहर की विद्रोही तलाश कर रहे है। वहीं भारत सरकार ने सीरिया से 75 भारतीय नागरिकों को बाहर निकाल लिया है, जिन्हें सुरक्षित भारत लाया जाएगा।
53 सालों का शासन विद्रोहियों ने किया खत्म
गौरतलब है कि राष्ट्रपति बशर अल असद का 53 सालों का शासन विद्रोहियों ने खत्म कर दिया है। 14 सालों से सीरिया गृह युद्ध झेल रहा था। असद अल बशर आंखों के डॉक्टर थे। उन्होंने लंदन से मेडिकल की पढ़ाई की और ब्रिटिश की रहने वाली पत्नी अस्मा से 2000 में शादी की। असद के पिता का नाम हाफिज अल-असद है। उन्होंने 1971 से लेकर 2000 तक सीरिया पर राज किया। हाफिज के मृत्यु के बाद असद ने 2000 में राष्ट्रपति पद संभाला और तब से लेकर अब तक सत्ता में काबिज रहें।
विधेयक में हुआ संशोधन
जानकारी के अनुसार असद अपने पिता का साम्राज्य संभालने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। वो अपने पिता के सियासत में पले, लेकिन उन्हें कभी भी राजनीति में दिलचस्पी नहीं थी। बड़े भाई बैसेल को हाफिज का उत्तराधिकारी बनाया गया। बैसेल की 1994 में एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई। इसके बाद असद के पिता की मृत्यु 2000 में हो गई। जिसके बाद असद को राष्ट्रपति बनाने की कवायद शुरू हुई। हालांकि उनकी उम्र कम थी जिसके बाद विधेयक में संसोधन कर के 40 साल की उम्र सीमा को घटाकर 34 साल की गई। फिर जुलाई में हुए चुनाव के बाद असद को अपने पिता का उत्तराधिकारी बनाया गया।