Black Friday Sale: हाल फ़िलहाल में आपने अपने सोशल मीडिया पर ब्लैक फ्राइडे सेल के बारे में तो सुना ही होगा। मगर यह ब्लैक फ्राइडे होता क्या है और इसकी शुरुवात कहा से हुई ?
क्या है ब्लैक फ्राइडे?
ब्लैक फ्राइडे हर साल अमेरिका में थैंक्सगिविंग के अगले दिन मनाया जाने वाला खास दिन है, जिसे आमतौर पर क्रिसमस शॉपिंग सीजन की शुरुआत माना जाता है। इस दिन दुकानों और शॉपिंग साइट्स पर भारी छूट के चलते यह दुनियाभर में शॉपिंग के लिए खासतौर पर पहचाना जाता है। इस साल, ब्लैक फ्राइडे 29 नवंबर को मनाया जा रहा है।
इतिहास
ब्लैक फ्राइडे शब्द का उद्भव 1960 और 1970 के दशक में फिलाडेल्फिया से हुआ। उस समय, थैंक्सगिविंग के अगले दिन क्रिसमस की खरीदारी और छुट्टियों का मजा लेने के लिए भारी भीड़ सड़कों पर उतरती थी। इससे ट्रैफिक और अराजकता की स्थिति बन जाती थी, जिससे निपटने के लिए पुलिसकर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। इन्हीं व्यस्त और थकाऊ हालातों का वर्णन करने के लिए पुलिस ने इस दिन को “ब्लैक फ्राइडे” का नाम दिया।
हालांकि, खुदरा विक्रेताओं ने इस नाम को नकारात्मक मानते हुए इसे “बिग फ्राइडे” कहने की कोशिश की, लेकिन “ब्लैक फ्राइडे” नाम ही प्रचलन में रहा। धीरे-धीरे, इस शब्द ने अपनी नकारात्मक छवि को पीछे छोड़ते हुए एक सकारात्मक और व्यापारिक पहचान बना ली।
महत्व और आधुनिक स्वरूप
आज ब्लैक फ्राइडे केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दुनियाभर में खरीदारी का एक बड़ा दिन बन गया है। शॉपिंग मॉल, रिटेल स्टोर्स और ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स पर इस दिन बड़े स्तर पर छूट और विशेष ऑफर दिए जाते हैं। यह दिन न केवल उपभोक्ताओं के लिए बचत का अवसर है, बल्कि व्यापारियों के लिए भी अपनी बिक्री बढ़ाने का बेहतरीन मौका है।
ब्लैक फ्राइडे और फेस्टिव सीजन का संबंध
ब्लैक फ्राइडे को क्रिसमस शॉपिंग सीजन की शुरुआत माना जाता है। इस समय लोग अपने परिवार और दोस्तों के लिए तोहफे खरीदने और त्योहारों की तैयारियां करने में जुट जाते हैं। यह सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से उपभोक्तावाद और त्योहारों के उत्साह का प्रतीक बन गया है।
ब्लैक फ्राइडे, जो कभी अराजकता का पर्याय था, अब शॉपिंग का उत्सव बन चुका है। चाहे रिटेल स्टोर्स हों या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, यह दिन अब दुकानदारों और खरीदारों के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। फेस्टिव सीजन की इस शुरुआत ने ब्लैक फ्राइडे को न केवल खरीदारी का बड़ा मौका बनाया है, बल्कि यह आधुनिक उपभोक्तावादी संस्कृति का भी हिस्सा बन गया है।