राजधानी जयपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 200 से 300 के बीच पहुंच गया है। सीतापुरा, मानसरोवर और मुरलीपुरा जैसे इलाकों में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 400 पार कर गया है, जो गंभीर श्रेणी में आता है।
शेखावाटी क्षेत्र में पराली जलाने का बढ़ता प्रभाव
श्रीगंगानगर और सूरतगढ़ में पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ रहा है। सवा महीने में 54 मामले दर्ज हुए हैं। बीकानेर के पास बायोमास प्लांट से भी धुआं वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है।
कोटा और सीकर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक
कोटा-सांगोद क्षेत्र में पराली जलाने के कारण प्रदूषण बढ़ा है। सीकर में यातायात जाम और कचरा जलाने से AQI रेड जोन में पहुंच गया, जिससे अस्पतालों में सांस और आंखों की समस्या के मरीज 20% तक बढ़ गए।
ठंड और नमी से वायुमंडलीय स्थिति और खराब–जयपुर
मौसम में नमी और ठंड के कारण धूल और प्रदूषक कण वातावरण में ठहर गए हैं। यह प्रदूषण बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है।
प्रदूषण रोकने के लिए लागू प्रतिबंध
एनसीआर से जुड़े जिलों में ग्रैप-4 लागू किया गया है। खनन, ईंट-भट्टों और निर्माण कार्यों पर रोक लगाई गई है। स्कूलों में छुट्टियां घोषित की गई हैं, लेकिन प्रदूषण पर प्रभाव सीमित है।
वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। इसे नियंत्रित करने के लिए सख्त नियमों के साथ जागरूकता अभियान भी जरूरी है।