करवाचौथ हमारे देश की महिलाओं के लिए बेहद खास त्यौहार है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं। उनका ये व्रत चांद को देखने के बाद ही खुलता है। लेकिन क्या आपने कभी ये कहा है कि इस दिन चांद इतना देरी से क्यों निकलता है? आइये जानते हैं।
करवाचौथ 20 अक्टूबर को है। हमारे देश में इस त्यौहार का बहुत महत्व होता है। इस दिन घरों में दिवाली जैसी रौनक देखने को मिलती है। करवाचौथ व्रत से कई पौराणिक कथाएं जुडी है। इस दिन व्रत रखा जाता है और अपने पति की लंबी उम्र के लिए चांद की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं अपना व्रत चांद को देखकर ही खोलती हैं।
क्यों देरी से निकलता है चांद
बता दें चांद का देरी से निकलना साइंस है कोई जादू या अलौकिक शक्ति नहीं। इसके पीछे साइंस का एक सीधा सा लॉजिक काम करता है। वो नियम है पृथ्वी का घूर्णन और चंद्रमा कि कक्षा (Earth’s rotation and the Moon’s orbit) अगर सीधे शब्दों में समझें तो पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है और इसी कारण दिन और रात का समय आता है। पृथ्वी को अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाने में लगभग 24 घंटे का समय लगता है कि एक दिन होता है। वहीं चांद पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाता है। चंद्रमा को पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में लगभग 27.3 दिन लगते हैं।
आमतौर पर करवाचौथ का त्योहार अक्टूबर या नवंबर के महीने में ही पड़ता है। इस समय प्रीति अपनी धुरी पर थोड़ी झुकी होती है। इस ही के कारण रात और दिन के समय भी बदलाव होता है। ऐसे में सूर्य और चन्द्रमा की दिशा ऐसी होती है कि चन्द्रमा को उस दिन आने में समय लगता है। वहीं आप जिस जगह पर रहते हैं उस जगह री भौगोलिक स्थिति भी चांद के निकलने देरी से निकलता है।