Saturday, November 23, 2024

Ratan Tata: नहीं रहें रतन टाटा, 86 की उम्र में ली अंतिम सांस

Ratan Naval Tata: मशहूर बिजनेसमैन और टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा अब इस दुनिया में नहीं रहे। उन्होंने 86 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा की हालत गंभीर थी और वह मुंबई के एक अस्पताल में ICU में भर्ती थे। टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने एक बयान में रतन टाटा के निधन की पुष्टि की और उन्हें अपना “मित्र और मार्गदर्शक” बताया।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

Ratan Tata: टाटा को बनाया इंटरनेशल ब्रांड

साल 1991 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे और इस दौरान उन्होंने बिजनेस सेक्टर में कई कीर्तिमान स्थापित करते हुए देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों में से एक टाटा समूह को बुलंदियों तक पहुंचाया। उन्होंने टाटा को इंटरनेशनल ब्रांड बना दिया। उनकी सोच केवल मुनाफे तक सीमित नहीं थी, उन्होंने समाज के लिए भी बहुत काम किए है। रतन टाटा एक अच्छे बिजनेसमैन तो थे ही साथ ही वो एक अच्छे इंसान भी थे जिन्होंने अपने से पहले हमेशा समाज को रखा था। उनके जाने की कमी हमें हमेशा महसूस होगी।

टाटा समूह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर हुआ था। उन्होंने 1962 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वास्तुकला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एडवांस मैनेजमेंट कार्यक्रम पूरा किया। उनके पिता नवल टाटा एक सफल उद्योगपति थे और उन्होंने टाटा समूह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं रतन टाटा की मां सोनी टाटा एक गृहिणी थीं। रतन टाटा 1962 में टाटा इंडस्ट्रीज के सहायक के रुप में शामिल हुए थे। बाद में उन्होंने टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (जिसे अब टाटा मोटर्स कहा जाता है) के जमशेदपुर संयंत्र में छह महीने की ट्रेनिंग ली। इसके बाद वो लगातार कई कंपनियों में सेवाएं देने के बाद उन्हें 1971 में नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी का प्रभारी निदेशक बनाया गया। 1981 में उन्हें समूह की अन्य होल्डिंग कंपनी टाटा इंडस्ट्रीज का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जहां वे इसे समूह रणनीति थिंक टैंक और उच्च-प्रौद्योगिकी व्यवसायों में नए उपक्रमों के प्रवर्तक में बदलने के लिए जिम्मेदार थे।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के न्यासी बोर्ड में भी कार्य किया

वे 1991 से 28 दिसंबर, 2012 को अपनी सेवानिवृत्ति तक टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष थे। इस दौरान वे टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा पावर, टाटा ग्लोबल बेवरेजेज, टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स और टाटा टेलीसर्विसेज सहित प्रमुख टाटा कंपनियों के अध्यक्ष थे। वे भारत और विदेशों में विभिन्न संगठनों से भी जुड़े हुए थे। रतन टाटा मित्सुबिशी कॉर्पोरेशन और जेपी मॉर्गन चेस के अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड में भी थे। रतन टाटा ट्रस्ट और एलाइड ट्रस्ट्स, और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और एलाइड ट्रस्ट्स के अध्यक्ष थे। वे टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की प्रबंधन परिषद के अध्यक्ष थे। वह कॉर्नेल विश्वविद्यालय और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के न्यासी बोर्ड में भी कार्य करते थे।

अगर बात कि जाएं रतन टाटा के पर्सनल लाइफ की तो वो ताउम्र अविवाहित रहे। वह चार बार शादी करने के करीब आए, लेकिन विभिन्न कारणों से शादी नहीं कर सके। उन्होंने एक बार बताया था कि जब वह लॉस एंजिल्स में काम कर रहे थे, तब एक समय ऐसा आया जब उन्हें प्यार हो गया था, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण लड़की के माता-पिता उसे भारत भेजने के विरोध में थे, जिसके बाद उन्होंने कभी शादी नहीं की।

Madhuri Sonkar
Madhuri Sonkarhttps://reportbharathindi.com/
ETV Bharat में एक साल ट्रेनिंग कंटेंट एडिटर के तौर पर काम कर चुकी हैं। डेली हंट और Raftaar News में रिपोर्टिंग, V/O का अनुभव। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और बॉलीवुड न्यूज पर अच्छी पकड़।
- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest article