Navratri: नवरात्रि में 9 दिनों तक मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि अपने पूर्व जन्म में देवी पार्वती हिमालय के राजा की पुत्री थीं। जब नारद मुनि ने उन्हें भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने का उपाय बताया, तो उन्होंने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। यह तपस्या इतनी कठिन और लंबी थी कि उन्हें “तपस्चारिणी” या ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है।
Navratri: मां की उपासना करें
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए सबसे पहले आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद मंदिर के पास आसान बिछाकर बैठकर मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें, फिर फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं और भोग में पंचामृत सबसे पहले अर्पित करें। इसके साथ ही को पान, सुपारी और लौंग का भी भोग लगाएं और मां की आऱती कर के सभी को प्रसाद दें। मां की उपासना से भक्तों को तप, संयम, और धैर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Navratri: पूजा का लाभ
देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना से अनंत फल की प्राप्ति एवं तप,त्याग,वैराग्य,सदाचार,संयम जैसे गुणों की वृद्धि होती हैं।जीवन के कठिन संघर्षों में भी व्यक्ति अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होता।मॉ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती हैं।लालसाओं से मुक्ति के लिए माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान लगाना अच्छा होता हैं।
Navratri: स्तुति मंत्र
- या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। - दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।