Dalit Leader Sundarlal No More: शेखावाटी में दलित समाज के प्रखर नेता सुंदरलाल काका का निधन हो गया है। उन्होंने कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले शेखावाटी में भाजपा के पैर जमाने में अहम योगदान दिया था। अपनी ठेठ राजस्थानी छवि और हाजिर जवाबी के कारण उन्हें राजनीतिक हलको में अलग ही मुकाम हासिल था।
बीते दो हफ्ते से उन्हें तबीयत नासाज होने पर सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। यहां आईसीयू में उनका इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने अस्पताल पहुंचकर काका की मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से फोन पर बात भी करवाई थी। बड़ी संख्या में भाजपा नेता लगातार काका से मिलने अस्पताल पहुंच रहे थे। काका के निधन से भाजपा को बड़ा झटका लगा है।
7 बार विधायक रहे, 92 वर्ष की उम्र में निधन
सुंदरलाल काका 7 बार झुंझुनू के पिलानी और सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे थे। 92 वर्ष की उम्र में सुंदर लाल काका ने शुक्रवार सुबह इस दुनिया को अलविदा कह दिया। आज दोपहर 2 बजे पैतृक गांव बुहाना के पास कलवा में अंतिम संस्कार होगा। जिस दौर में भारतीय जनता पार्टी के पास दलित नेतृत्व का भाव था, उस वक्त में सुंदरलाल काका ने दलित समाज के बीच भारतीय जनता पार्टी की जड़ें मजबूत करने का काम किया था।
लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है काका का
शेखावाटी में काका सुंदरलाल जनाधार वाले नेता माने जाते थे, वे क्षेत्र के अकेले ऐसे नेता थे, जो कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों से विधायक रहे. राजस्थान विधानसभा में सुंदरलाल काका सात बार के विधायक रहे थे। वे झुंझुनूं के सूरजगढ़ और पिलानी विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे। उन्हें राजस्थान सरकार में दो बार बतौर कैबिनेट मंत्री, एक बार राज्य मंत्री और एक बार संसदीय सचिव के रूप में कार्य करने का भी मौका मिला। वह अनुसूचित जाति आयोग के भी अध्यक्ष रहे थे।
वर्ष 2018 में की थी चुनाव से दूरी
साल 2018 में सुंदरलाल काका ने खराब सेहत का हवाला देकर विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था, लेकिन उनके हर दल के नेताओं के साथ अच्छे संबंध थे। एससी आयोग के अध्यक्ष रहे काका ने एक दौर में दलित वर्ग के मेघवाल समाज को भाजपा के साथ लाने का काम किया था।