Thursday, December 25, 2025

कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में पांच लाख श्रद्धालुओं का गीता पाठ, 2026 के चुनावों से पहले बढ़ी सनातन चेतना

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड ग्राउंड में भगवद् गीता का भव्य सामूहिक पाठ आयोजित किया गया, जिसने पूरे राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।

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इस विशाल आयोजन में करीब पांच लाख श्रद्धालु एक साथ जुटे और गीता के श्लोकों का पाठ कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।

वातावरण भक्तिरस से भरा हुआ था, मंत्रों की गूंज पूरे मैदान में फैल रही थी और लोगों के चेहरे पर आध्यात्मिक उत्साह साफ झलक रहा था।

यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं रहा, बल्कि सामाजिक एकता, आध्यात्मिक चेतना और सांस्कृतिक पहचान का एक व्यापक प्रतीक बनकर उभरा।

कोलकाता: बंगाल की धरती सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विविधता

इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉक्टर सीवी आनंद बोस की उपस्थिति ने इसे और भी खास बना दिया।

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि बंगाल की धरती हमेशा से सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विविधता का केंद्र रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य धार्मिक अहंकार और विभाजन की मानसिकता को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए तैयार है।

राज्यपाल के वक्तव्य ने यह संकेत दिया कि अब समाज में आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित समरसता की आवश्यकता पहले से अधिक महसूस की जा रही है।

भगवा-ए-हिंद’ चाहते हैं

इस आयोजन की भव्यता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि साध्वी ऋतंभरा और बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जैसे प्रमुख संत भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे।

धीरेंद्र शास्त्री ने श्रद्धालुओं की विशाल भीड़ को देखकर कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो कोलकाता में कोई महाकुंभ आयोजित हो गया हो।

उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति की आत्मा सनातन परंपरा में बसती है और यही परंपरा विश्व को शांति का मार्ग दिखाने की क्षमता रखती है।

यह भी कहा कि भारत में हम सनातनी भाव को बढ़ाना चाहते हैं, तनातनी को नहीं। उन्होंने साफ कहा कि हम ‘गजवा-ए-हिंद’ नहीं चाहते, बल्कि ‘भगवा-ए-हिंद’ चाहते हैं, जो हमारी सनातन संस्कृति की पहचान को मजबूती देता है।

इस भव्य गीता पाठ का असर केवल धार्मिक भावनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यापक सामाजिक संदेश भी देता है।

कोलकाता जैसे विविधताओं से भरे महानगर में इतनी बड़ी संख्या में लोगों का एक साथ जुटना यह दर्शाता है कि सनातन संस्कृति के प्रति जागरण और जुड़ाव तेजी से बढ़ रहा है।

यह आयोजन समाज के भीतर एक नई आध्यात्मिक ऊर्जा और एकजुटता का भाव पैदा करता है।

ऐसी गतिविधियाँ केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं होतीं, बल्कि सामाजिक बंधन को मजबूत करती हैं और लोगों में आध्यात्मिक एकता की भावना विकसित करती हैं।

2026 के चुनाव में पड़ेगा असर

इस आयोजन की खासियत यह भी है कि यह एक ऐसे समय में हुआ है जब पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं।

पूरे राज्य में धार्मिक आयोजनों की बढ़ती संख्या राजनीतिक विश्लेषकों के लिए भी चर्चा का विषय बन गई है।

कई जानकार मानते हैं कि इतना बड़ा गीता पाठ कहीं न कहीं बंगाल में उभर रही सनातन शक्ति और बदलते सामाजिक माहौल की ओर संकेत करता है।

यह भी कहा जा रहा है कि आने वाले चुनावों में धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

ममता बनर्जी की सरकार लंबे समय से हिंदुत्व की राजनीति को रोके रखने की कोशिश करती रही है, लेकिन ऐसे बड़े आयोजन स्पष्ट दिखाते हैं कि जनता के भीतर धार्मिक चेतना का उभार अब पहले से कहीं अधिक तेज़ है।

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ममता बनर्जी इस प्रभाव को रोक पाएँगी या फिर इस बदलती लहर का असर सीधे चुनावी परिणामों में दिखाई देगा।

कुल मिलाकर, कोलकाता का यह ऐतिहासिक गीता पाठ आध्यात्मिकता, सामाजिक एकता और राजनीतिक संकेत तीनों का संगम बनकर सामने आया है।

पांच लाख श्रद्धालुओं की यह भागीदारी बंगाल के बदलते माहौल की एक बड़ी तस्वीर पेश करती है, जिसका असर आने वाले वर्षों तक महसूस किया जाएगा।

Madhuri
Madhurihttps://reportbharathindi.com/
पत्रकारिता में 6 वर्षों का अनुभव है। पिछले 3 वर्षों से Report Bharat से जुड़ी हुई हैं। इससे पहले Raftaar Media में कंटेंट राइटर और वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रूप में कार्य किया। Daily Hunt के साथ रिपोर्टर रहीं और ETV Bharat में एक वर्ष तक कंटेंट एडिटर के तौर पर काम किया। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और एंटरटेनमेंट न्यूज पर मजबूत पकड़ है।
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