विक्रम संवत 2082 का आरम्भ 30 मार्च 2025 से हो गया है। इस साल सूर्य 14 अप्रैल 2025 को सुबह 05:37 पर मेष राशि में प्रवेश करेगे। मध्यप्रदेश के विदिशा से बनाई गयी कुंडली से पूरे देश के एक साल के भविष्य को जाना जाता है। यह जानकारी प्रख्यात ज्योतिषाचार्य श्री विनय झा के सूर्यसिद्धान्त पर आधारित जयपुर के जयादित्य पंचांग द्वारा दी गई है:-

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2082 की सौर वर्षप्रवेश कुंडली का फल
2082: सम्वत 2082 के मेषारम्भ में मेरुपर्वत आधारित कुंडली में भारतवर्ष वृष राशि व चतुर्थ भाव में पड़ रहा है। व कश्मीर का हिस्सा पंचम भाव में पड़ रहा है। चतुर्थेश शुक्र द्वितीय भाव में स्वगृही लग्नेश शनि के नियंत्रण में है। अतः यह वर्ष भारत की अर्थव्यवस्था की दृष्टि से अच्छा रहेगा। भारत की धन संपत्ति बढ़ेगी और अंतराष्ट्रीय स्थिति मजबूत होगी।
सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के समय भारत के विदिशा से मेषारम्भ कुण्डली पर आधारित संक्षिप्त वर्षफल दिया जा रहा है। भारतवर्ष की मेषारम्भ कुण्डली में लग्नेश गुरु तृतीय भाव में है जिससे भारत का साहस बढ़ा चढ़ा रहेगा व कठोर निर्णय लिए जाएंगे। अंतराष्ट्रीय मंचों पर भारत अपनी बात प्रखरता से विश्व के सामने रखेगा। देश के प्रशासनिक अधिकारी सरकार के प्रति अधिक सहयोगी रहेंगे।
धनेश और भाग्येश मंगल इस वर्ष पंचम भाव में नीच के हैं, अतः देश में धर्म के नाम पर पाखण्डियों को अपनी रोटियाँ सेंकने का मौका मिलेगा और वो धर्म को हानि पहुँचाने की चेष्टा करते रहेंगे लेकिन धर्म भाव पर शुभ बृहस्पति की दृष्टि, और मंगल स्वयं पंचम भाव में होने से, धर्म को कुछ-कुछ सहायता भी मिलेगी।

बुध शुक्र शनि और राहु एक साथ द्वादश भाव में हैं। यह अशुभ परिस्थिति है। जातक में यह संन्यास / प्रव्रज्या का भी योग कहा है। शनि आयेश हैं अतः राष्ट्रीय आय की व्यर्थ में हानि होगी। शुक्र तृतीय-अष्टम भाव के स्वामी हैं, अतः विपरीत राजयोग बना रहे हैं पर शनि के पूर्ण नियंत्रण में हैं। अतः भारत को विपरीत परिस्थितियां भी झेलनी पड़ेंगी लेकिन अच्छा परिणाम भी होगा।
देश को महिलाओं द्वारा उपलब्धि हासिल होगी। देश में विदेशी हस्तक्षेप बढ़ाने के षड्यंत्रों में बढ़ोतरी होगी। यह राष्ट्र की स्थिरता और शांति में विघ्नबाधा करेगा। पंचमेश चन्द्रमा मृत्यु भाव में हैं। कुल मिला कर इस वर्ष की कुण्डली के अनुसार भारत के लिए वर्ष में अवरोध दिखाई दे रहे हैं।
धन संपत्ति बढ़ने के साथ ही देश में आर्थिक हानि होने से राजकोष को घाटा होगा, देश में आन्तरिक कलह फ्फसाद का योग बना रहेगा परन्तु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत कड़ाई से शत्रुओं का सामना करेगा व अपनी शक्ति बढ़ाने में सफलता प्राप्त करेगा।
2082 के विशेष शुभ और अशुभ समय
2082: देश के लिए विशेष रूप से शुभदायक व अशुभ समय की जानकारी दी जा रही है। 2025 में 25 अप्रैल से 3 मई तक का समय शुभ, 4-5 मई अशुभ, 6 से 31 मई तक शुभता बढ़ेगी जिसमें 27-31 मई विशेष शुभ है। इसके बाद 1 जून से 22 जून तक शुभता घट रही है जिसमें 17 से 22 जून विशेष अशुभ हो सकता है। 23 जून से 17 सितंबर तक का समय सामान्य है जिसमें 20 से 28 जुलाई विशेष शुभ, इसके बाद 17 से 20 अगस्त विशेष शुभ, 13 से 17 सितंबर विशेष शुभ है।
18 सितंबर से 8 अक्टूबर का समय कंटकाकीर्ण है। 9 से 24 अक्टूबर शुभ समय है। 25 अक्टूबर से 2 नवंबर कमजोर समय है। 3 नवंबर से 4 दिसंबर का समय कुछ अवरोधों के साथ सामान्य विकास का है। 5 से 9 दिसंबर का समय विशेष अशुभ है। 10 से 12 दिसंबर का समय शुभ है। 13 दिसंबर से 31 दिसंबर का समय गिरावट व अवरोधों का है। 1 जनवरी 2026 से लेकर वर्षान्त 19 मार्च 2026 तक का समय शुभतापूर्ण विकास का है, इसमें देश को कम उतार चढ़ाव देखने को मिलेंगे।
इस वर्ष में शनि का फल प्रायः सम रहेगा। बृहस्पति का फल 14 अप्रैल से 10 मई तक सामान्य, 11 मई से 5 जून तक विशेष शुभ, 6 जून से 23 जून तक सम, 24 जून से 3 अक्टूबर तक शुभ, 4 अक्टूबर को अशुभ, 5 अक्टूबर से 23 दिसंबर तक शुभ, इस दौरान 9 से 15, 17 से 24 अक्टूबर तक विशेष शुभ, 5 से 11, 14 से 20 नवंबर तक विशेष शुभ, 3 से 8, 11 से 18 दिसंबर तक विशेष शुभ रहेगा। 24 दिसंबर से 19 मार्च 2026 तक निम्न रहेगा।

8 जून से 29 जुलाई 2025 तक मंगल का विशेष फल देखने को मिलेगा। 30 अक्टूबर से 10 दिसंबर तक मंगल का बहुत कमजोर फल मिलेगा। 18 जुलाई से 17 सितंबर तक सूर्य का विशेष शुभफल देखने को मिलेगा। 18 सितंबर से 18 नवंबर तक सूर्य कमजोर रहने से निम्न फल रहेगा। 5 जून से 30 अगस्त तक बुध कमजोर रहने से निम्नफल देखने को मिलेगा। 1 जून से 27 जुलाई व 22 अगस्त से 10 अक्टूबर तक शुक्र कमजोर रहेगा।
गत वर्ष कालयुक्त नामक संवत्सर के देवता भगवान श्री कल्कि थे, जिसका विवरण केवल श्रीसर्वेश्वर जयादित्य पंचांग में दिया गया था। श्रीकल्कि विष्णु मंदिर सम्भल को तोड़कर औरंगजेब ने ढांचे का निर्माण किया था। इस वर्ष श्री कल्कि जन्मभूमि हरिहर मंदिर का मामला पुनः प्रकाश में आया और न्यायालय ने सर्वे के आदेश भी जारी किए। सिद्धार्थ संवत्सर 2082 के देवता श्री बुद्ध हैं अतः इस वर्ष श्री बुद्ध व उनके मंदिरों से संबंधित उल्लेखनीय घटना घटित होने की संभावना है।
सिद्धार्थ संवत्सर में राजा तथा प्रजा दोनों में ज्ञान वैराग्य का प्रकाश दिखाई देता है। सारी पृथ्वी विशेष अन्न से पूर्ण होकर सुंदर दिखती है। सिद्धार्थ संवत्सर में कृषियोग्य वर्षा होगी। धनधान्य से पृथ्वी परिपूर्ण रहेगी। जनता में प्रसन्नता होगी। पर अनेक प्रकार के रोग से लोग पीड़ित होंगे।
सिद्धार्थ संवत्सर में जन्म लेने वाला जातक उदार हृदय, प्रसन्नता और अनुग्रह से युक्त होता है, वह रणभूमि में यश प्राप्त करता है और सुखी होता है। वह राजा या मंत्री होता है, बहुत लोगों द्वारा पूजनीय और सर्वसमर्थ होता है। वह वेद और शास्त्रों के तत्त्व को जाननेवाला, शुद्ध हृदय, मृदु स्वभाव, सुकुमार शरीर, राजाओं से आदर पानेवाला और कवि होता है।
– मुदित मित्तल, ज्योतिषाचार्य, संपादक, जयादित्य पंचांग जयपुर
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