Sunday, November 9, 2025

दुनिया की पहली शुद्ध शाकाहारी सिटी: गुजरात का पालीताणा बना धार्मिक आस्था और अहिंसा का प्रतीक

दुनिया की पहली शुद्ध शाकाहारी सिटी: गुजरात के भावनगर जिले में स्थित पालीताणा शहर ने इतिहास रच दिया है। यह शहर अब दुनिया का पहला “पूर्ण शाकाहारी शहर” (Pure Vegetarian City) बन चुका है, जहाँ मांस, अंडे और पशु वध पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस फैसले के साथ ही पालीताणा न केवल भारत बल्कि विश्वभर में चर्चा का केंद्र बन गया है।

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जैन मुनियों का संघर्ष और ऐतिहासिक फैसला

दुनिया की पहली शुद्ध शाकाहारी सिटी: पालीताणा में यह निर्णय अचानक नहीं लिया गया, बल्कि इसके पीछे जैन मुनियों का लंबा आंदोलन और अहिंसक संघर्ष रहा है। साल 2014 में करीब 200 जैन साधुओं ने भूख हड़ताल की थी, जिनकी एकमात्र मांग थी — “जैन तीर्थस्थल पर जीव हत्या और मांसाहार की बिक्री पूरी तरह बंद हो।”

यह आंदोलन इतना व्यापक हुआ कि सरकार को अंततः झुकना पड़ा और भावनगर प्रशासन ने मांस, मछली, अंडे और पशु वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया।

पालीताणा — जैन धर्म का सबसे पवित्र तीर्थस्थल

दुनिया की पहली शुद्ध शाकाहारी सिटी: पालीताणा को जैन धर्म का मक्का-मदीना कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यहां स्थित शेत्रुंजय पर्वत पर बने 900 से अधिक संगमरमर के मंदिरों का समूह अपने आप में अद्भुत है।

माना जाता है कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने इसी पर्वत पर तपस्या की थी। यही कारण है कि हर साल हजारों साधु, संत और श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।

अहिंसा और आस्था का संगम

दुनिया की पहली शुद्ध शाकाहारी सिटी: पालीताणा में यह निर्णय जैन धर्म के उस मूल सिद्धांत — “अहिंसा परमो धर्म” — की सच्ची अभिव्यक्ति है। यहाँ अब किसी भी जीव की हत्या, बिक्री या उपभोग पर रोक लगाकर अहिंसा और करुणा को जीवन का आधार बना दिया गया है। यह फैसला न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी एक उदाहरण है।

शाकाहारी जीवनशैली को मिला प्रोत्साहन

पालीताणा में प्रतिबंध के बाद अब केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन की ही अनुमति है। शहर में कई शाकाहारी रेस्तरां और भोजनालय खुल चुके हैं, जो पारंपरिक गुजराती और जैन व्यंजन परोसते हैं। इस निर्णय ने “वेजिटेरियनिज़्म” को न केवल एक आस्था, बल्कि एक जीवनशैली और सांस्कृतिक पहचान के रूप में स्थापित कर दिया है।

विवाद और आलोचना की आवाज़ें भी उठीं

जहाँ एक ओर जैन समुदाय और पर्यावरण प्रेमियों ने इस कदम का स्वागत किया, वहीं कुछ समूहों ने इसे “भोजन की स्वतंत्रता पर अंकुश” बताया। उनका कहना है कि यह निर्णय पर्यटन पर असर डाल सकता है, क्योंकि बहुत से विदेशी और भारतीय पर्यटक मांसाहारी भोजन करते हैं।

फिर भी, प्रशासन का रुख साफ है — “पालीताणा एक तीर्थ है, और तीर्थ की पवित्रता किसी समझौते से नहीं जुड़ी होती।”

राजनीतिक पृष्ठभूमि और स्थानीय प्रभाव

दुनिया की पहली शुद्ध शाकाहारी सिटी: राजनीतिक रूप से पालीताणा भावनगर जिले का एक प्रभावशाली क्षेत्र है। यहाँ भाजपा का मजबूत दबदबा रहा है, और केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। 2002 से यह क्षेत्र लगातार भाजपा के कब्जे में है, जिसने जैन समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय को प्रशासनिक रूप से लागू करवाया।

पालीताणा: दुनिया के लिए एक मिसाल

आज पालीताणा न केवल जैन धर्म की आस्था का केंद्र है, बल्कि वह पूरे विश्व के लिए शांति, करुणा और अहिंसा का उदाहरण बन चुका है। जब दुनिया पर्यावरण संकट और पशु क्रूरता जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, तब यह छोटा-सा शहर दिखा रहा है कि सच्ची प्रगति केवल तकनीक से नहीं, बल्कि करुणा से होती है।

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