अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ भारत का बड़ा अभियान
भारत के केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने “ऑपरेशन चक्र V” के तहत साइबर अपराधियों पर बड़ी कार्रवाई की है।
इस अभियान में माइक्रोसॉफ्ट डिजिटल क्राइम्स यूनिट, अमेरिकी FBI, जापान की नेशनल पुलिस एजेंसी और ब्रिटेन की NCA जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी भागीदारी की।

इस ऑपरेशन का उद्देश्य टेक सपोर्ट स्कैम और झूठी सरकारी पहचान का उपयोग कर झांसा देकर होने वाले कॉल सेंटर धोखाधड़ी नेटवर्क को तोड़ना है।
FirstIdea कंपनी पर गंभीर आरोप
इस जांच में “FirstIdea” नामक भारतीय कंपनी पर ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के कम से कम 100 लोगों से धोखाधड़ी का आरोप लगा है।
यह कंपनी अपनी वेबसाइट firstidea.us पर दावा करती है कि वह ADP, Aetna, Aramark, BASF, Bic, CareOne, CostCo, Horizon Blue Cross Blue Shield, JPMorgan Chase, Kessler, Siemens और Sony जैसी बड़ी कंपनियों के लिए ऋण वसूली सेवाएं प्रदान करती है।

ऑपरेशन में अब तक की बड़ी उपलब्धियां
भारत के केंद्रीय जांच ब्यूरो CBI ने हाल ही में ऑपरेशन चक्र V की घोषणा की है, जिसमें माइक्रोसॉफ्ट डिजिटल क्राइम यूनिट, अमेरिका की खूफिया एजेंसी FBI, जापान की राष्ट्रीय पुलिस एजेंसी और ब्रिटेन की राष्ट्रीय अपराध एजेंसी NCI का सहयोग लिया जा रहा है।
CBI के अनुसार इस अभियान के तहत कई स्तरों पर सफलता मिली है। 10 अगस्त 2025 को एक नकली अमेज़न कॉल सेंटर पर छापा मारा गया।
वहीं, जुलाई में 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 8.5 लाख (850,000) मनी म्यूल खातों के खुलासे की घोषणा हुई।
ये खाते 743 बैंक शाखाओं में खोले गए थे। इस दौरान KYC और संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (STRs) की भारी अनदेखी सामने आई।
नोएडा से गिरफ्तार हुआ ‘किंगपिन’
7 जुलाई को नोएडा में हुई छापेमारी के दौरान निशांत वालिया, अर्जुन प्रकाश और अर्जिता चोपड़ा को कॉल सेंटर फ्रॉड में गिरफ्तार किया गया।

CBI की FIR में निशांत वालिया, अर्जुन प्रकाश और अर्जिता चोपड़ा कॉल सेंटर धोखाधड़ी की दुनिया के बड़े नाम बताए गए हैं।
दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम में CBI ने 200 करोड़ से ज्यादा की अवैध सम्पत्तियां फ्रीज की हैं।
निशांत वालिया FirstIdea Solutions नाम की कंपनी का ऑपरेटर और अर्जुन प्रकाश इसका निदेशक बताया गया है।

ये दोनों कई कंपनियों, Marvello Infotech, FirstIdea Solutions और DroidOne InfoSol, में सह-निदेशक रहे हैं।
व्हिसल-ब्लोअर्स और Click Aurum का खुलासा
“Scammer.info” नामक प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करने वाले व्हिसल-ब्लोअर्स ने निशांत की एक और कंपनी “Click Aurum” पर भी शक जताया है।
उसी थ्रेड में “Rogger” नामक यूजर ने बताया कि वे ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में आउटबाउंड कॉल्स चलाकर ग्राहकों को कैंसलेशन का झांसा देते हैं और उनसे पैसा वसूलते हैं।

2019 से सक्रिय ठगी का नेटवर्क
हालांकि निशांत की सक्रियता मई 2020 से मानी जा रही थी, लेकिन ब्रिटिश अदालत के दस्तावेजों ने इसे और पहले का बताया।
जुलाई 2019 के एक केस में बलजिंदर सिंह नामक व्यक्ति पर आरोप लगा कि उसकी कंपनी “Devine Technical Services Ltd” ब्रिटेन से संचालित होती थी, लेकिन वास्तव में यह भारत से तकनीकी सपोर्ट के नाम पर ठगी का हिस्सा थी।

पीड़ितों को यह विश्वास दिलाया जाता था कि उनके कंप्यूटर वायरस से संक्रमित हो गए हैं और हैकिंग का शिकार हुए हैं। उन्हें झूठे तकनीकी सपोर्ट के लिए पैसे देने को मजबूर किया जाता।

बलजिंदर सिंह ने कुल £300,188 ठगी कर राशि भारत में निशांत वालिया को भेजी थी और अपनी कमीशन काट ली थी।
मीडिया में ‘किंगपिन’ की पहचान पर मतभेद ?
भारतीय मीडिया ने निशांत वालिया की गिरफ्तारी को लेकर उसे “मुख्य संचालक”, “किंगपिन” और “साइबर फ्रॉड सिंडिकेट का नेता” कहा है। हालांकि कुछ स्रोत करन डोढ़ी को किंगपिन बताते हैं।
वहीं, अर्जुन प्रकाश ने दावा किया कि वह कैलिफोर्निया के हवाईयन गार्डन्स में रह रहा है और वहीं से FirstIdea का संचालन इस कंपनी के ओनर और CEO के रूप में कर रहा है।

उसकी लिंक्डइन प्रोफाइल पर firstidea.us वेबसाइट मौजूद है, जिसमें उसने अक्टूबर 2015 से यहां लगभग 9 साल से लगातार काम करने का दावा किया है। इससे ये साफ हो गया कि ये वही संगठन है।

अमेरिकी बिजनेस में भी संलिप्तता
व्यापारिक दस्तावेजों से पता चला कि अर्जुन ने निदेशक पद से इस्तीफा देने के बाद अमेरिका में ऋण वसूली करने वाली कंपनी शुरू की।
उसने 2015 में इसका डोमेन firstidea.us, अपने व्यक्तिगत जीमेल (arjunprakash11@gmail.com) से रजिस्टर किया और बाद में कंपनी के ईमेल (firstideasolutionsinc@gmail.com) से नवीनीकृत किया।
इन दस्तावेजों से स्पष्ट है कि निदेशक पद से हटने के बावजूद अर्जुन कंपनी से जुड़ा रहा।
आउटसोर्सिंग और PII का खतरा
ऑपरेशन चक्र V ने यह दिखाया कि कैसे कॉल सेंटर सेवाओं के लिए विदेशी कंपनियों को आउटसोर्सिंग करने पर ग्राहकों की निजी जानकारी (PII) गलत हाथों में पहुंच जाती है।
और फिर उसी कॉल सेंटर के संचालक धोखाधड़ी वाले फ्रॉड कॉल सेंटर चलाने में लिप्त पाए जाते हैं।
यही जानकारी धोखाधड़ी नेटवर्क द्वारा इस्तेमाल कर लाखों डॉलर की ठगी को अंजाम दिया जाता है।
यह मामला अंतरराष्ट्रीय सहयोग से साइबर अपराधियों पर की गई सबसे बड़ी कार्रवाइयों में गिना जा रहा है।
इस आर्टिकल की मूल सामग्री यहां से ली गई है।