महाभारत एक ऐसा ग्रंथ हैं, जो मनुष्य को सिखाता है कि जीवन में कौन-सी गलतियां नहीं करनी चाहिए। महाभारत काल के प्रमुख पात्रों में से एक कर्ण की श्रेष्ठता को भगवान परशुराम ने भी स्वीकार किया।
कर्ण को दानवीर कर्ण के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कर्ण से जुड़ी कुछ ऐसी बातें, जिन्हें कम ही लोग जानते होंगे।
ये बात बहुत ही कम लोगों को पता है। कर्ण की एक नहीं बल्कि दो पत्नियां थी। पहली पत्नी का नाम वृषाली था और दूसरी पत्नी का नाम सुप्रिया।
भगवान कृष्ण ने कर्ण की दानशीलता की परीक्षा ली और कर्ण ने सोने के दांत दान किए। प्रसन्न होकर कृष्ण ने तीन वरदान मांगे: अपने वर्ग का कल्याण, कृष्ण का उसके राज्य में जन्म, और पाप-मुक्त व्यक्ति द्वारा अंतिम संस्कार। इसलिए उनका अंतिम संस्कार स्वयं श्री कृष्ण ने किया।
असुर राजा दंभोद्भवा, सूर्यदेव के परम भक्त थे और उन्हें वरदान था कि केवल 1000 साल तप करने वाला ही उनका वध कर सकता है। नर-नारायण ने उनके 999 कवच तोड़े, और श्राप दिया कि अगले जन्म में भी उनका कवच उन्हें मृत्यु से नहीं बचा सकेगा।
असुर राजा दंभोद्भवा, सूर्यदेव के परम भक्त थे और उन्हें वरदान था कि केवल 1000 साल तप करने वाला ही उनका वध कर सकता है। नर-नारायण ने उनके 999 कवच तोड़े, और श्राप दिया कि अगले जन्म में भी उनका कवच उन्हें मृत्यु से नहीं बचा सकेगा।
अविवाहित रहते हुए सूर्य देवता के वरदान स्वरूप कुंती ने कर्ण को जन्म दिया था। समाज के लांछनों से बचने के लिए उसने कर्ण को स्वीकार नहीं किया। कर्ण का पालन एक रथ चलाने वाले ने किया जिसकी वजह से कर्ण सूतपुत्र कहलाये।