5 अगस्त की तारीख बांग्लादेश के इतिहास में एक काले दिन के रूप में दर्ज है। इसे इतनी आसानी से कोई कभी नहीं भूलेगा।
इसी दिन प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपनी जान बचाकर बांग्लादेश से भागना पड़ा था औऱ भारत में शरण लेनी पड़ी थी।
तख्तापलट के 6 महीने के बाद शेख हसीना ने अपनी पार्टी अवामी लीग के पेज पर एक ऑडियो क्लिप शेयर की है।
हसीना ने कहा कि मैं और मेरी बहन रेहाना 20 से 25 मिनट के अंतर से बच गए, नहीं तो हमें मार दिया जाता।
शेख हसीना ने आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता से बेदखल होते ही उनकी और उनकी छोटी बहन शेख हसीना के हत्या की साजिश रची गई थी।
शेख हसीना ने कहा कि मैं पीड़ित हूं, मैं अपने देश के बिना हूं, मेरे घर के बिना हूं, सब कुछ जला दिया गया है कुछ भी नहीं बचा है।