मकर संक्रांति की तरह विश्‍वकर्मा पूजा की तारीख भी तय होती है। क्‍योंकि यह दोनों ही त्‍योहार की तारीख सूर्य के गोचर से तय होती है।

हर साल 17 सितंबर को ही विश्‍वकर्मा पूजा पर्व मनाया जाता है, लेकिन इस साल विश्‍वकर्मा पूजा की तारीख को लेकर लोगों में दुविधा है।

विश्‍वकर्मा जयंती की तारीख सूर्य के गोचर से तय होती है। जिस दिन सूर्य गोचर करके कन्‍या राशि में प्रवेश करते हैं उस दिन विश्‍वकर्मा पूजा की जाती है। आमतौर पर 17 सितंबर को ही सूर्य कन्‍या राशि में प्रवेश करते हैं।

इस साल सूर्य का कन्‍या राशि में प्रवेश 16 सितंबर 2024 की शाम 7 बजकर 29 मिनट पर होगा। 

विश्‍वकर्मा पूजा दिन में की जाती है इसलिए उदया तिथि के आधार पर इस साल भी विश्‍वकर्मा पूजा या जयंती 17 सितंबर को ही मनाई जाएगी।

विश्वकर्मा पूजा की बात करें तो इस दिन कारखानों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। उन्हें सृष्टि का पहला इंजीनियर माना जाता है। मान्‍यता है कि भगवान शिव का त्रिशूल और भगवान कृष्‍ण का सुदर्शन चक्र भी भगवान विश्‍वकर्मा ने ही बनाया था।

यंत्रों के देवता विश्वकर्मा के जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है। साथ ही इस दिन सूर्य देव की भी पूजा करना चाहिए, उन्‍हें अर्घ्‍य देना चाहिए। इससे कारोबार में बरकत होती है। कामों में सफलता मिलती है।