डेंगू वायरस का सबसे पहला प्रकार है। इसका संक्रमण सामान्यत: हल्का होता है लेकिन कभी-कभी यह गंभीर भी हो सकता है.। DENV-1 से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति में इस वायरस के प्रति इम्यूनिटी विकसित हो जाती है।
DENV-2 भी डेंगू का एक प्रमुख प्रकार है। यह गंभीर डेंगू, जिसे डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) भी कहते हैं, का कारण बन सकता है। इस प्रकार के संक्रमण में प्लेटलेट्स तेजी से गिरती हैं, जिससे रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है।
DENV-3 से होने वाला संक्रमण भी गंभीर हो सकता है। यह वायरस तेजी से फैलता है और इसके लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं। DENV-3 से संक्रमित होने पर भी शरीर में इसके खिलाफ इम्यूनिटी विकसित हो जाती है।
DENV-4 डेंगू वायरस का चौथा प्रकार है। इसका संक्रमण आमतौर पर हल्का होता है। हालांकि, अगर किसी व्यक्ति में पहले से किसी अन्य डेंगू वायरस के प्रति इम्यूनिटी है, तो DENV-4 का संक्रमण गंभीर हो सकता है।
डेंगू के सभी प्रकारों के लक्षण लगभग समान होते हैं।इनमें तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, उल्टी, और त्वचा पर लाल चकत्ते शामिल हैं। गंभीर मामलों में प्लेटलेट्स की कमी, खून का बहाव ,भी हो सकता है।
डेंगू से बचने का सबसे अच्छा तरीका है मच्छरों से बचाव। इसके लिए मच्छरदानी का उपयोग, पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना, मच्छर भगाने वाली क्रीम का प्रयोग, और आसपास के इलाकों को साफ रखना जरूरी है।
डेंगू का कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए सही चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है। सही जानकारी और सावधानी से डेंगू से बचा जा सकता है। हमेशा सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।