अर्जुन का गांडीव या कर्ण का विजय धनुष, कौन सा था अधिक शक्तिशाली?

महाभारत के युद्ध में कर्ण और अर्जुन के पास बेहद घातक, शक्तिशाली और दिव्य धनुष थे। अर्जुन के पास गांडीव, और कर्ण के पास विजय धनुष था। कर्ण को भगवान परशुराम ने ये धनुष दिया था, जबकि महाभारत कथा के मुताबिक, अर्जुन को रथ और गांडीव धनुष अग्निदेव ने दिया था।

दिव्य धनुष

अर्जुन का गांडीव धनुष अत्यंत शक्तिशाली था. गांडीव से एक साथ अनेक तीरों को छोड़ा जा सकता था और दुश्मनों को आसानी से परास्त कर सकता था। 

अर्जुन का गांडीव धनुष

गांडीव के साथ अर्जुन के पास एक अक्षय तरकश भी था, जिसमें कभी भी तीर खत्म नहीं होते थे। गांडीव में दिव्य शक्ति निहित थी. यह एक महा शक्तिशाली दिव्य अस्त्र था। 

अक्षय तीर

गांडीव से छोड़े गए तीर हमेशा निशाने पर लगते थे. अर्जुन की निशानेबाजी का कौशल और गांडीव की सटीकता का संयोजन उसे एक अजेय योद्धा बनाता था। गांडीव की शक्ति इतनी दिव्य थी कि इसका उपयोग करके अर्जुन किसी भी लक्ष्य को आसानी से भेद सकता था। 

अचूक निशाना

श्रीकृष्ण ने भी कर्ण के विजय धनुष की तारीफ करते हुए कहा था कि "हे अर्जुन! मैं सारथी रूप में और हनुमान जी सूक्ष्म रूप में तुम्हारे रथ पर सवार हैं लेकिन फिर भी कर्ण का चलाया तीर तुम्हारे रथ को कुछ दूर तक घसीटने में सफल रहा है, तो तुम कर्ण के पराक्रम और उसके धनुष विजय की शक्ति का अंदाजा लगा सकते हो। "

कर्ण का विजय धनुष

कर्ण के विजय धनुष को कोई खंडित नहीं कर सकता था. कर्ण का विजय धनुष मंत्रों से से इस प्रकार अभिमंत्रित था कि यह धनुष जिस भी योद्धा के हाथ में होता था, उसके चारों तरफ अभेद घेरा बना देता था।  कर्ण का विजय धनुष, अर्जुन के गांडीव धनुष जितना ही शक्तिशाली था।

अभेद घेरा

कर्ण को उनके विजय धनुष के साथ नहीं मारा जा सकता था। श्रीकृष्ण इस बात को जानते थे। युद्ध में जब कर्ण का रथ एक गड्ढे में फंस गया, तो उसे निकालने के लिए कर्ण अपने धनुष विजय को रथ में छोड़कर नीचे उतर गया।  इसी समय अर्जुन ने अपने गांडीव से तीर चलाया और कर्ण का वध कर दिया।

कर्ण का वध